जौनपुर । बीते साल 6 जनवरी को राजधानी लखनऊ के विभूति खंड इलाके में मऊ जिले के गोहना के पूर्व ब्लाक प्रमुख अजीत सिंह की सरेआम गोलियां बरसा कर हत्या कर दी गई थी. राजधानी लखनऊ पुलिस ने मामले की विवेचना के बाद पूर्व सांसद धनंजय सिंह को इस हत्याकांड की साजिश रचने का आरोपी बनाया था. धनंजय सिंह को लेकर पिछले दिनों अखिलेश यादव ने सरकार को घेरा था. इस बीच एसटीएफ ने कोर्ट में जो रिपोर्ट दाखिल की है उससे धनंजय को राहत मिल सकती है. ऐसा इसलिए क्योंकि धनंजय पर अब सिर्फ जमानती धाराओं के ही आरोप सामने आ रहे हैं.
गौरतलब है कि लखनऊ पुलिस ने धनंजय सिंह को फरार घोषित कर 25 हज़ार रुपये का इनाम भी रखा था. अखिलेश यादव ने इनामी अपराधी धनंजय सिंह के घूमने-फिरने, क्रिकेट खेलने की तस्वीरें ट्वीट की थीं, जिसके बाद मामले ने राजनीतिक रूप ले लिया था. माना जाता है कि अखिलेश के इस ट्वीट के बाद ही शासन ने इस मामले की विवेचना एसटीएफ को दे दी थी. वहीं मारे गए अजीत सिंह की पत्नी ने कोर्ट में अर्ज़ी दाख़िल कर मामले की निष्पक्ष विवेचना की मांग की थी, जिस पर एसटीएफ के विवेचक अंजनी कुमार तिवारी ने कोर्ट में रिपोर्ट दाखिल कर साफ किया है कि इस मामले में पूर्व सांसद धनंजय सिंह के खिलाफ सूचना न देने और आरोपी को प्रश्रय देने के सबूत मिले हैं. अब एसटीएफ के विवेचक की रिपोर्ट के मुताबिक धनंजय पर सिर्फ ज़मानती धाराओं के आरोप लग रहे हैं, जबकि लखनऊ पुलिस ने धनंजय को अजीत सिंह की हत्या की साजिश रचने का आरोपी बनाया था जो ग़ैर ज़मानती धारा है.
जानकारों का मानना है कि अब इन आरोपों में ज़मानत हासिल करने के बाद चुनाव में नामांकन धनंजय नामांकन दाखिल कर सकता है. वहीं पूर्व में धनंजय सिंह की ओर से सेशन कोर्ट में सरेंडर की अर्ज़ी दाख़िल की गई थी, जिस पर 19 फरवरी को सुनवाई होनी है. इस सरेंडर अर्ज़ी पर मामले के वादी मोहर सिंह की ओर से आपत्ति दाख़िल की गई है, जिस पर 18 फरवरी को सुनवाई होगी.
इसी क्रम मे लाइन बाजार थाना क्षेत्र के अपहरण व रंगदारी के मामले में पूर्व सांसद धनंजय सिंह अपर सत्र न्यायाधीश की अदालत में सोमवार को हाजिर हुए। उनके खिलाफ वारंट जारी था। कोर्ट में वारंट निरस्त करने का प्रार्थना पत्र दिया। इस पर कोर्ट ने 50 हजार रुपये के निजी मुचलके पर वारंट रिकाल किया तथा अगली सुनवाई के लिए 25 फरवरी तिथि नियत की।
दस मई 2020 को नमामि गंगे के प्रोजेक्ट मैनेजर अभिनव सिघल ने धनंजय सिंह व विक्रम सिंह के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराया था। इसमें आरोप लगाया था कि उसे पचहटिया स्थित साइट से अपहरण कर धनंजय सिंह के आवास पर ले जाया गया। वहां धनंजय पिस्टल लेकर आए और जबरन वादी की फर्म को कम गुणवत्ता वाली सामग्री की आपूर्ति करने को कहा। इन्कार करने पर गालियां व धमकी दी तथा रंगदारी मांगा। दूसरे दिन धनंजय की गिरफ्तारी हुई। यहां से जमानत निरस्त हुई। हाईकोर्ट से जमानत मिली। पत्रावली एमपी एमएलए कोर्ट प्रयागराज भेजी गई थी। हाईकोर्ट के दिशा-निर्देश के बाद पत्रावली यहां आई। पूर्व में वारंट जारी था। धनंजय सिंह कोर्ट में हाजिर होकर वारंट रिकाल कराए।
धनंजय सिंह.फाइल फोटो |
रिपोर्ट: अमित कुमार सिंह
जर्नलिस्ट
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