जौनपुर की नौ विधानसभा सीटों पर बनते बिगड़ते समीकरण, जाने किस सीट पर कौन भारी

जौनपुर की नौ विधानसभा सीटों पर बनते बिगड़ते समीकरण, जाने किस सीट पर कौन भारी

जौनपुर। जनपद की नौ विधानसभा सीटों पर सात मार्च को मतदान होना है। इसके लिए 121 प्रत्याशी मैदान में हैं, नाम वापसी और प्रतीक आवंटन के बाद स्थिति लगभग साफ हो गई है। कुछ स्थानों पर चुनावी समीकरण हालांकि बन और बिगड़ रहे हैं, लेकिन अधिकांश सीटों पर भाजपा-सपा की लड़ाई है।

कुछ सीटों पर कांग्रेस और बसपा भी मुकाबले को रोचक बना रही हैं। हालांकि एक-एक सीट पर निषाद पार्टी, सुभासपा और अपना दल और जेडीयू भी लड़ाई में हैं। वहीं, चुनावी इतिहास को देखते हुए राजनीति के जानकार कहते हैं कि जनपद की नौ विधानसभा सीटों में से जो ज्यादा सीटें जीतेगा, सत्ता लगभग उसी की बनती है। आइये जानते हैं किस सीट का क्या बन रहा है समीकरण।
सदर सीट : राज्यमंत्री के विजय रथ को रोकने में लगे हैं दो पूर्व विधायक
जौनपुर। सदर विधानसभा सीट पर 1980 के बाद कोई दल या नेता ने लगातार जीत दर्ज नहीं की है, लेकिन इस बार रिकार्ड को तोड़ने की कोशिश में हैं राज्यमंत्री गिरीश चंद्र यादव। वह लगातार दूसरी बार विधायक बनने का सपना संजोए हुए चुनावी रण में हैं। जिन्हें रोकने के लिए मुस्लिम बाहुल्य इस सीट से सपा ने तेज बहादुर मौर्य को सिंबल दे दिया गया था, लेकिन विरोध को देखते हुए बाद में पूर्व विधायक मो. अरशद खान को अपना चेहरा बनाया है। वहीं, सियासी गुणा-गणित लगाने के बाद कांग्रेस ने भी अपने जिलाध्यक्ष फैसल हसन तबरेज का टिकट काटकर नदीम जावेद को मैदान में उतार दिया, जो पिछले चुनाव में दूसरे स्थान पर थे और 2012 में 32 साल बाद कांग्रेस को जीत दिलाई थी। वे अपना हिसाब बराबर करने की कोशिश में हैं तो बसपा ने भी सलीम खान को चुनावी समर में उतारकर मुकाबले को रोचक बना दिया है। इसी तरह 21 और प्रत्याशी भी इन बड़े चेहरों के बीच अपनी जगह बनाने के लिए नामांकन करके प्रचार में जुट गए हैं।
बदलापुर : कांटे का मुकाबला देखने को मिलेगा
जौनपुर। बदलापुर विधानसभा सीट पर इस बार कांटे का मुकाबला देखने को मिल रहा है। माना जा रहा है इस सीट पर जीत-हार का अंतर बहुत ज्यादा नहीं होगा। साल 2012 में विधायक रहे ओम प्रकाश दुबे बाबा 2017 में भाजपा प्रत्याशी रमेश चंद्र यादव से हार का हिसाब बराबर करने की कोशिश में लगे हैं। वहीं, सिटिंग विधायक रमेश चंद्र मिश्रा भी लगातार दूसरी बार साल 2012 में नव सृजित हुई इस सीट से माननीय बनकर रिकार्ड बनाने की तैयारी किए हैं। बसपा भी दोनों दिग्गजों के सियासी समीकरण बिगाड़ने के लिए मनोज तो कांग्रेस ने आरती सिंह को मैदान में उतारा है। इसी तरह 10 और प्रत्याशियों ने भी अपना सपना साकार करने के लिए मतदाताओं की परिक्रमा शुरू कर दी है।
शाहगंज : पूर्व मंत्री को मिल रही है कड़ी चुनौती
जौनपुर। शाहगंज सीट पर इस बार जीत-हार का अंतर काफी कम होगा। पूर्व राज्यमंत्री व सिटिंग विधायक शैलेंद्र यादव ललई को जबर्दस्त टक्कर मिल रही है। भाजपा 20 साल से सपा के इस गढ़ को ढहाने के लिए निषाद पार्टी के भरोसे अपनी नाव पार कराने में लगी है। निषाद पार्टी ने भी राजनीतिक विरासत बचाने में चुनावी जंग लड़ रहे पूर्व ब्लाक प्रमुख रमेश सिंह को मौका दिया है। इस सीट से बेटे को जीत दर्ज कराने के लिए प्रतापगढ़ के पूर्व सांसद कुंवर हरिवंश सिंह भी माहौल बनाने में लगे हैं। वहीं, दो बार खुटहन और अब दो बार शाहगंज से सिटिंग विधायक शैलेंद्र यादव ललई अपने कार्यकाल की उपलब्धियों को बताते हुए सुभासपा को साथ लेकर कड़ी चुनौती दे रहे हैं। इसके अलावा बसपा ने इंद्रदेव यादव तो कांग्रेस ने परवेज आलम को मैदान में उतारकर मुकाबले को नया मोड़ दे दिया है। इसके अलावा 9 और प्रत्याशी भी अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए मतदाताओं से संपर्क कर रहे हैं।
मछलीशहर : सपा का हैट्रिक लगा पाना आसान नहीं
जौनपुर। मछलीशहर सुरक्षित सीट पर इस बार चुनाव ने नया मोड़ ले लिया है। भाजपा के प्रत्याशी खुद के स्थानीय होने और सपा उम्मीदवार के बाहरी होने का दावा करते हुए अपने पक्ष में माहौल बनाने में लगे हुए हैं। साथ ही आजादी के बाद पहली बार कमल खिलाने का सपना संजोए हुए हैं। वहीं, सपा ने लगातार दो बार से सिटिंग विधायक जगदीश सोनकर का टिकट काटकर विरोध के बीच वाराणसी के अजगरा से निवर्तमान विधायक कैलाश सोनकर की बेटी डा. रागिनी को मौका दिया है। हालांकि उन्हें समर्थन के साथ-साथ तमाम प्रकार की चुनौतियों का भी सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में सपा का इस सीट से हैट्रिक लगाने के सपने को पूरा करने में काफी चुनौतियों का भी सामना करना पड़ रहा है। दूसरी ओर बसपा ने डा. विजय कुमार को मैदान में लाकर मुकाबले को रोचक बना दिया है। इसी तरह कांग्रेस ने माला देवी को अपना चेहरा बनाया है। ऐसे में सपा, बसपा और कांग्रेस प्रत्याशी ने अपनी योग्यता और पार्टी के घोषणा पत्रों के सहारे मतदाताओं के बीच जाना शुरू कर दिए हैं। छह और प्रत्याशी भी अपने सपने को पूरा करने में लगे हुए हैं।
मुंगराबादशाहपुर : बसपा ने मुकाबला बनाया रोचक
जौनपुर। पिछली बार कांग्रेस से चुनाव लड़कर अपनी राजनीतिक ताकत दिखाने वाले अजय शंकर दुबे अज्जू भइया इस बार भगवा के हो गए हैं। भाजपा से माननीय बनने का सपना संजोए अजय शंकर टिकट पाते ही अपनी जीत मान चुके हैं। लेकिन बसपा ने उनके सामने दिनेश कुमार शुक्ला को लाकर मुकाबले को रोचक बना दिया है। ब्राह्मण बहुल इस सीट पर पटेल और यादव भी अच्छी संख्या में हैं, ऐसे में सियासी जोड़-तोड़ करते हुए मुकाबले को अपने पक्ष में करने के लिए पंकज पटेल को मैदान में उतार दिया है। दूसरी ओर कांग्रेस के प्रमोद सिंह भी कांग्रेस की वोट प्रतिशत और अपनी ताकत को देखते हुए मैदान में उतरकर सियासी समीकरण बदलने की कोशिश में लगे हुए हैं। जबकि 11 और प्रत्याशी भी मतों के ध्रुवीकरण का भरोसा करते हुए मतदाताओं तक अपनी बात पहुंचाने में लगे हैं।
मल्हनी : दांव पर लगी दिग्गजों की प्रतिष्ठा
जौनपुर। मल्हनी विधानसभा सीट पर इस बार कांटे की टक्कर देखने को मिल रही है। इस सीट पर दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। जेडीयू से पूर्व सांसद धनंजय सिंह इस चुनाव को जीतने के लिए हर तरह की चुनौतियों का सामना करने को तैयार हो गए हैं। साल 2012 में नवसृजित इस सीट से अजेय सपा ने भी अपनी बादशाहत कायम रखने के लिए सिटिंग विधायक लकी यादव को मैदान में उतारा है। वहीं, भाजपा ने पूर्व सांसद केपी सिंह और बसपा ने शैलेंद्र यादव को चुनावी रण में उतारकर मुकाबले को रोचक बना दिया है, जिसके चलते सियासी गणित किस करवट बैठेगी को लेकर हर कोई समझ नहीं पा रहा है। बड़े-बड़े दिग्गजों के बीच आठ और प्रत्याशी भी दिग्गजों के सियासी समीकरण को बिगाड़ने के लिए मतदाताओं से संपर्क करने लगे हैं।
मड़ियाहूं : बदल गया सियासी समीकरण
जौनपुर। भाजपा की सहयोगी पार्टी अपना दल एस ने सिटिंग विधायक डा. लीना तिवारी का आखिरी समय में टिकट काटकर डा. आरके पटेल पर दांव खेला है। भाजपा और पटेल मतों को देखते हुए यह लिया गया निर्णय सपा के फैसले को चुनौती देने वाला साबित हो रहा है। हालांकि सपा ने भी यादव और पटेल मतदाताओं को साधने के लिए पिछले वर्ष सपा में शामिल हुए साल 2017 में मुंगराबादशाहपुर से विधायक बनीं सुषमा पटेल को अपना चेहरा बनाया है। इसके लिए सपा ने साल 2012 में विधायक और 2017 में रनर रहीं श्रद्धा यादव का टिकट काट दिया, मगर पिछले चुनाव में हार का हिसाब बराबर करने की कोशिश में लगी सपा को कड़ी चुनौती मिल रही है, हालांकि बसपा ने ब्राह्मण और दलित वोटों को साधने के लिए आनंद दुबे को मैदान में लाकर सियासी समीकरण को बदल दिया है। दूसरी ओर आठ और उम्मीदवार भी चुनावी दंगल में अपने विरोधियों को पटखनी देने के लिए जनता तक पहुंचने में लगे हैं।
जफराबाद : सियासत और विरासत की जंग
जौनपुर। जफराबाद विधानसभा सीट पर सियासत और विरासत की जंग देखने को मिल रही है। भाजपा ने सिटिंग विधायक डॉ. हरेंद्र प्रसाद सिंह पर फिर से दांव खेला है। वहीं, सपा ने इस सीट पर विजय हासिल करने के लिए सुभासपा से पूर्व मंत्री व लगातार 1996, 2000 व 2007 में विधायक बने जगदीश राय को चुनावी रण में उतारकर मुकाबले को रोचक बना दिया है। दूसरी ओर बसपा ने दलित और ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या को देखते हुए डा. संतोष मिश्र को मैदान में लाकर चुनावी समीकरण बदल दिया है। इनके अलावा सात और प्रत्याशियों ने भी अपनी ताल ठोंका है। सभी मतदाताओं के दिल में जगह बनाने में लगे हुए हैं।
केराकत : दांव पर लगी तीन चर्चित चेहरों की प्रतिष्ठा
जौनपुर। केराकत सीट पर हर दिन समीकरण बदल रहा है। इस सीट पर मुकाबला काफी कड़ा दिख रहा है। हालांकि भाजपा ने सिटिंग विधायक दिनेश चौधरी पर फिर से दांव लगाया है। वहीं, सपा ने लगातार तीन बार सांसद रहे तूफानी सरोज को चुनावी रण में उतारकर जीत हासिल करने का सपना संजोए है, मगर बसपा ने इस सीट से डॉ. लाल बहादुर सिद्धार्थ को मैदान में उतारकर पूरा समीकरण ही बदल दिया है। इन प्रत्याशियों के साथ-साथ सात और प्रत्याशी मतदाताओं तक पहुंचने में लगे हैं। साभार ए. यू।

रिपोर्ट: अमित कुमार सिंह
जर्नलिस्ट
a.singhjnp@gmail.com

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