जौनपुर । यूक्रेन के सेनिविप्सी शहर में युद्ध के बीच फंसी कोटद्वार के जौनपुर बैंक कालोनी निवासी एमबीबीएस की छात्रा विभूति भारद्वाज सोमवार को दिन में सकुशल अपने घर पहुंच गई।
बेटी के घर पहुंचने पर परिजनों ने राहत की सांस ली।
विभूति ने बताया कि वह यूक्रेन के बुकवेनियन स्टेट मेडिकल कालेज में एमबीबीएस की तीसरे वर्ष की छात्रा है और वह सेनिविप्सी शहर में रहती है। जब उसके पापा ने उसे फोन पर बताया कि यूक्रेन में युद्ध शुरू हो गया, तो वह घबरा गई थी। लेकिन, उसे भारत सरकार पर पूरा भरोसा था। भारतीय दूतावास से मिले निर्देश के बाद वह शनिवार को दिन में वे बस से रोमानिया बॉडर के लिए निकली। उन्होंने बस के सामने भारत का तिरंगा लगाया था। बस के आगे तिरंगा लगा होने के कारण जगह-जगह पर युद्ध के लिए तैनात यूक्रेन की सेना ने सम्मान पूर्वक बस को आगे जाने के लिए रास्ता दिया।
बॉर्डर पर जाम लगा होने के कारण बस ने उनको पांच किमी पहले उतार दिया। उसका नाम दूसरी सूची में होने के करण इयर इंडिया की फ्लाइट से वह रविवार शाम करीब छह बजे वहां से निकले और सुबह करीब साढ़े तीन बजे दिल्ली पहुंचे। दिल्ली में भारत के नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने उनका स्वागत किया। विभूति के पिता पूूर्व बैंक मैनेजर गुणानंद भारद्वाज और माता राजीव गांधी नवोदय विद्यालय संतूधार की प्राचार्य वंदना भारद्वाज ने यूक्रेन में फंसे छात्रों को स्वदेश लाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त किया।
यूक्रेन से वापस लौटी स्टूडेंट |
खौफ के साए में छह घंटे बस का सफर कर पहुंचे रोमानिया बॉर्डर
कोटद्वार। यूक्रेन के इवानो फ्रैंकिवस्क नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी में एमबीबीएस के पांचवें वर्ष की छात्रा कोटद्वार जौनपुर निवासी पायल पंवार के सकुशल घर पहुंचने पर परिजनों का खुशी का ठिकाना नहीं रहा। परिजनों ने बेटी के गले लगकर उसका हाल जाना। इस दौरान पायल ने बताया कि कैसे वह सौफ के साए में बस में छह घंटे का सफर कर रोमानिया बॉर्डर के नजदीक पहुंची लेकिन यहां जाम होने के कारण करीब आठ किमी पैदल चलकर बॉर्डर पर पहुंचना पड़ा।
अमर उजाला से वार्ता में पायल पंवार ने बताया कि वह एमबीबीएस के पांचवें वर्ष की छात्रा है। यूनिवर्सिटी की ओर से उन्हें युद्ध के खतरे को देखते हुए स्वदेश लौटने की सलाह दे दी थी, लेकिन अंतिम वर्ष होने के कारण उसका वहां रुकना जरूरी था। 24 फरवरी को यूक्रेन एयरपोर्ट पर बम के धमाके होने के बाद उन्हें युद्ध शुरू होने की जानकारी मिली। वह अपने लिए आवश्यक सामान लेने के लिए दुकान में गईं तो वहां सामान लेने वालों का हुजूम उमड़ा हुआ था, जिससे वह खाने पीने का सामान नहीं ले सकीं। सायरन बजते ही लोग बंकरों में भाग रहे थे और उनके साथ वह भी निकल पड़ीं। उसके साथ के सभी छात्रों ने हालात अधिक बिगड़ने से पहले बॉर्डर पर जाने का मन बना लिया। वह एक बस बुक करके 25 फरवरी की शाम को बॉर्डर के लिए निकल गए। बस में सफर करते समय बस के ऊपर से गुजर रहे फाइटर प्लेन से उन्हें बम गिरने का भय सताता रहा। खौफ के साए में छह घंटे का सफर करने के बाद वे रोमानिया बॉर्डर के करीब पहुंचे। वहां पर लंबा जाम होने के कारण वे करीब आठ किमी. पैदल चलकर बॉर्डर पर पहुंचे। जहां पर पहले से ही भारत समेत अन्य देशों के छात्रों की भीड़ लगी हुई थी। 26 फरवरी की सुबह करीब छह बजे कड़ाके की ठंड में आगे निकलने की होड़ में धक्का मुक्की के बीच वह किसी तरह आगे निकलने में कामयाब हुई। कुछ समय बाद अधिकारियों के आते ही उन्हें प्लेन में स्थान मिला। पायल के पिता अधिवक्ता किशन सिंह पंवार और माता मुन्नी पंवार ने उनकी बेटी को खतरे से बाहर निकालने के लिए भारत सरकार का आभार जताया। साभार ए. यू।
यूक्रेन से वापस लौटी छात्र |
रिपोर्ट: अमित कुमार सिंह
जर्नलिस्ट
a.singhjnp@gmail.com
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