कभी बेहया, कभी बदचलन बुलाती है , ये दुनिया मुझे हर तरफ़ से गलत ठहराती है

कभी बेहया, कभी बदचलन बुलाती है , ये दुनिया मुझे हर तरफ़ से गलत ठहराती है

 ॥  वैश्या ॥


कभी बेहया, कभी बदचलन बुलाती है ।

ये दुनिया मुझे हर तरफ़ से गलत ठहराती है।

यहाँ कोई अपना कोई पराया नहीं होता,

रात के बाद हमारा कोई सहारा नहीं होता ॥ 1 ॥


ये जिस्म का बाजार है, जनाब..!

हर औरत गलतफहमी का शिकार है जनाब..!

ये बाजार मे बैठाकर मुझे बाजारू

बोल देते है ।

दिन मे इज्ज़त बख़्श कर रातों मे जिस्म नोच लेते हैं ॥ 2 ॥


मिटाकर हवस ये दुनिया वैश्या मुझे बुलाती है,

ख्वाहिशें मेरी भी उँची है - पर दिल को बैचैनीया सताती है।

लाख ठोकर मार आगे बढ़ना चाहू मैं इनको,

पर ये दुनिया हर कदम पर नीचा दिखाती है ॥ 3 ॥


हर शहर, हर गली, हर नुक्कड़ से गुज़र गयी हू मैं,

कभी मुह छिपाकर, कभी आंसू बहाकर, सम्भल गयी हू मैं।

अब जिस्म को जला कर हर ल़डकियों का इज्ज़त बचाती हू मैं,

अब क्या बोलू फ़िर भी वैश्या कहलाती हू मैं ॥ 4 ॥


शक्तिमान मिश्रा - घाट समिति अध्यक्ष ( स्वच्छ गोमती अभियान बाबा घाट केराकत)

मंडल प्रभारी ( ऑल इंडिया ब्लड डोनर ट्रस्ट REG)


शक्तिमान मिश्रा 


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