जौनपुर । किसानों की आय दोगुनी करने व आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार की ओर से विभिन्न योजनाएं चलाई जा रही हैं। अब गैस व बिजली बचत के लिए गांवों में मनरेगा द्वारा बायोगैस तैयार किए जाएंगे।
इससे प्रत्येक परिवार को जोड़ने की तैयारी चल रही है। इससे सीमांत कृषकों की बिजली व रसोई गैस से निर्भरता भी कम होगी। किसान प्लांट से निकले गाद को बायो खाद के रूप में इस्तेमाल करेंगे।
अब तक मनरेगा के तहत तालाबों की खोदाई नालों का निर्माण भूमि के समतलीकरण, नाली-खडंजा इंटर लॉकिंग, खेल मैदान विद्यालयों का कायाकल्प व चहारदीवारी निर्माण अमृत सरोवर आदि कार्य परंपरागत रूप से किए जाते रहे है। अब मनरेगा से गांवों में लोगों की सुविधाओं के लिए बायो गैस तैयार किया जाएगा। बायोगैस प्लांट में दूसरे या तीसरे दिन गोबर डालना होता है। इसके बाद इसमें उत्पन्न होने वाली गैस को पाइप के जरिए रसोई तक ले जाया जाता है। एलपीजी गैस की तरह ही इसका उपयोग किया जाएगा। है। इसके साथ ही बायोगैस प्लांट से निकलने वाले अवशेष को खेती के लिए खाद के तौर पर भी इस्तेमाल किया जा सकता है, जिसमें कूड़े के ढेर की खाद के मुकाबले अधिक गुण होते हैं। बायोगैस तकनीक आम प्रयोग में आने वाले ईंधन जैसे कि लकड़ी, मिट्टी का तेल और एलपीजी गैस के खर्चों को बचाती है, इसके साथ ही बायोगैस के प्रयोग से लकड़ी, मिट्टी के तेल से पैदा होने वाली नुक्सानदायक गैसों से पर्यावरण को होने वाले नुकसान से भी निजात पाया जा सकता है।
शासन के निर्देशानुसार गांवों में बायो गैस प्लांट लगाने की तैयारी शुरू कर दी गई। इसके लिए सभी बीडीओ से बायो गैस प्लांट के लाभार्थियों का चयन कर सूची मांगी गई है इसके बाद स्टीमेट तैयार कर शासन को भेजा जाएगा।
- भूपेंद्र कुमार सिंह उपायुक्त मनरेगा। साभार ए.यू।
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सांकेतिक चित्र, फोटो जेएनएन |
रिपोर्ट: अमित कुमार सिंह
जर्नलिस्ट
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