मिथिला की आर्थिक उन्नति और महिला सशक्तिकरण का प्रतीक बना पागः डॉ. बीरबल झा

मिथिला की आर्थिक उन्नति और महिला सशक्तिकरण का प्रतीक बना पागः डॉ. बीरबल झा

नई दिल्ली । यंगेस्ट लिविंग लेजेंड ऑफ़ मिथिला, मिथिला विभूति एवं अपने आधुनिक विचारों से मिथिला के जनमानस में अमिट छाप छोड़ने वाले और पाग बचाओ आंदोलन के प्रणेता डॉ. बीरबल झा ने कहा कि पाग मिथिला में पहले सम्मान का प्रतीक था लेकिन पाग आंदोलन के बाद यह मिथिला की आर्थिक उन्नति और महिला सशक्तिकरण का प्रतीक भी बन गया है। उन्होंने कहा कि पहले पाग एक खास वर्ग तक सीमित था, लेकिन पाग बचाओ आंदोलन के जरिये "पाग फॉर ऑल" के आह्वान के बाद इसे लेकर समाज में सकारात्मक बदलाव आया है।  

पाग बचाओ आंदोलन की उपलब्धियों पर बात करते हुए डॉ. बीरबल झा ने कहा कि मिथिलालोक फाउंडेशन द्वारा चलाए गए पाग बचाओ आंदोलन से मिथिला समाज में कई महत्वपूर्ण बदलाव आए हैं। पाग इंग्लिश डिक्शनरी में शामिल हुआ, भारत सरकार ने पाग पर डाकट टिकट जारी किया, पाग निर्माण का लघु उद्योग कई शहरों में शुरू हुए, बड़ी संख्या में महिलाएं पाग निर्माण से जुड़ीं जिससे उनका सशक्तिकरण हुआ। इसके साथ ही समाज में जागृति लाने के लिए मिथिलालोक फाउंडेशन ने कई अवसरों पर पाग सम्मान समारोह का आयोजन किया जिससे मिथिला विभूतियों को सम्मानित किया गया।

मिथिलांगन डिजिटल मंच पर मिथिला के मनीषियों के साक्षात्कार की श्रृंखला में इस बार मिथिला मनीषी, साहित्यकार एवं गीतकार डॉ. बीरबल झा से मंच के संयोजक संजय चौधरी ने बातचीत की। इस दौरान विभिन्न विषयों पर चर्चा की गई। मिथिला समाज के लिए यह महत्वपूर्ण साक्षात्कार सारगर्भित, तथ्यपरक और प्रेरणादायक रहा। 

डॉ. झा ने इस बात को प्रमुखता से रेखांकित किया कि नए-नए प्रगतिशील विचारों का उपयोग कर मिथिला की प्राचीन परंपराओं और संस्कृति को न केवल अक्षुण्ण रखा जा सकता है अपितु उसका प्रसार देश दुनिया में भी किया जा सकता है। इसके साथ ही इससे बड़े स्तर पर स्वरोजगार के द्वार भी खुल सकते हैं। डॉ. झा ने कहा कि पाग आंदोलन इसका एक प्रत्यक्ष उदाहरण है। इस आंदोलन के बाद लोगों में पाग के प्रति जागरूकता बढ़ी जिससे इसकी मांग में तेजी से वृद्धि हुई। पाग की डिमांड बढ़ने से कई शहरों में पाग निर्माण के छोटे उद्योग शुरू हुए हैं और इससे सैकड़ों लोगों को रोजगार मिला है।  

मिथिला की संस्कृति के उत्थान के लिए समर्पित डॉ. बीरबल झा ने साक्षात्कार के दौरान बताया कि मिथिला के पाग को किस प्रकार अपने विचारों से मात्र संवर्धन ही नहीं किया बल्कि एक जन आंदोलन का रूप भी दे दिया। पाग के निर्माण उद्योग से मिथिला की आर्थिक उन्नति तो हो ही रही है, महिलाओं का सशक्तिकरण भी हो रहा है। उन्होंने कहा कि उनके प्रयासों से भारत सरकार ने पाग पर डाक टिकट जारी किया जिससे मिथिला का गौरव बढ़ा है। उन्होंने कहा इसी तरह प्रयास से पाग शब्द को अंग्रेजी डिक्शनरी में सम्मिलत करवाया है।

डॉ. बीरबल झा ने अपने गीतों के माध्यम से अपने विचारों को लोगों तक प्रभावी ढंग से पहुंचाया है। आज पाग एक बार फ़िर से हर वर्ग-जाति, स्त्री-पुरूष और युवाओं के बीच लोकप्रिय हो चुका है। आज लोगों का स्वागत और सम्मानित करने हेतु पाग आवश्यक माध्यम बन चुका है। डॉ. झा ने मिथिला के सर्वसमाज के लिए "पाग फ़ॉर ऑल" का प्रगतिशील विचार सामने रखा।

उल्लेखनीय है कि लाखों युवाओं को कौशल संपन्न करने वाले जाने-माने करियर कोच डॉ. बीरबल झा ने करियर के लिए अंग्रेजी के महत्व से लाखों युवाओं को प्रेरित किया है। उन्होंने "इंग्लिश फ़ॉर ऑल" विचार सामने लाकर युवाओं को इसके महत्व से अवगत कराया जो लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बना।

अनेक पुस्तकों के लेखक डा. झा के सक्षात्कारकर्ता संजय चौधरी ने कहा कि मिथिला के सभी महिला-पुरुष के माथे पर पाग आवश्यक रूप से होना चाहिए। कार्यक्रम में प्रख्यात गायक और संगीतकार सुन्दरम जी के सुमधुर गीत-" हम मैथिल छी मिथिलावासी पाग हमर पहचान छी" ने लोगों को मंत्रमुग्ध किया।

फाइल फोटो

रिपोर्ट: अमित कुमार सिंह
जर्नलिस्ट
a.singhjnp@gmail.com

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