नागालैंड। नगालैंड में फर्जी दस्तावेज से शस्त्र लाइसेंस बनवाने में अयोध्या के सपा विधायक अभय सिंह के साले संदीप कुमार सिंह उर्फ पप्पू को गिरफ्तार कर लिया। संदीप को सरोजनीनगर से हिरासत में लेकर विभूतिखंड स्थित एसटीएफ मुख्यालय लाया गया।
यहां पूछताछ के बाद संदीप एसटीएफ को अपने शस्त्र लाइसेंस से जुड़े कोई भी ठोस दस्तावेज नहीं दे सका। एसटीएफ ने उनके खिलाफ विभूतिखंड कोतवाली में एफआईआर दर्ज कर गिरफ्तार कर लिया। संदीप के पास रायफल और पिस्टल बरामद हुई है। संदीप ने फर्जी दस्तावेजों से फर्जी लाइसेंस को लखनऊ डीएम कार्यालय में स्थानान्तरित करा लिया था। एसटीएफ ने यह भी दावा किया कि संदीप ने अयोध्या में डीएम कार्यालय में झूठा शपथ पत्र देकर शस्त्र लाइसेंस लिया था। इस तरह से उसके दोनों शस्त्र लाइसेंस अवैध हैं। संदीप कुमार सिंह पूर्व सांसद धनंजय सिंह पर एके-47 से हुये हमले में आरोपित रहा है।
एसटीएफ के डिप्टी एसपी लाल प्रताप सिंह के मुताबिक संदीप विभूतिखंड के कालिन्दी विला अपार्टमेंट के फ्लैट नम्बर 402 में रहता है। मूल रूप से वह जौनपुर का रहने वाला है। उसके खिलाफ एक जांच एसटीएफ को मिली थी कि संदीप के खिलाफ कई मुकदमे दर्ज है। ऐसे में उसे दो-दो शस्त्र लाइसेंस कैसे मिल गये। जांच में सामने आया कि संदीप का शस्त्रत्त् लाइसेंस (संख्या 7099/ मोन/ नगालैंड) वहां के दस्तावेजों में उसके नाम से नहीं है। नगालैंड के मोन जिले से जारी इस नम्बर के रायफल लाइसेंस पर नोक्यू निवासी लापा गांव का नाम दर्ज है। मोन के एसपी और एडिशनल डिप्टी कमिश्नर की रिपोर्ट में भी इसकी पुष्टि की गई।
एसटीएफ ने पहले नोटिस भेजी पर संदीप नहीं आये
नगालैंड से संदीप के शस्त्र लाइसेंस को फर्जी बताने के बाद एसटीएफ ने संदीप को तीन बार नोटिस भेजा। पर, वह अपना बयान दर्ज कराने नहीं आये। इसके बाद ही एसटीएफ ने सर्विलांस की मदद से उनकी लोकेशन पता की और शुक्रवार को सरोजनीनगर से हिरासत में ले लिया था। एसटीएफ मुख्यालय में कई घंटे तक पूछताछ हुई। एसटीएफ का दावा है कि संदीप ने कुबूल लिया कि उसने फर्जी तरीके से यह शस्त्र लाइसेंस बनवाया है। फर्जी दस्तावेज के आधार पर ही इसे लखनऊ के डीएम कार्यालय में भी स्थानान्तरित करवा लिया।
पांच कंपनियों में साझेदारी,जांच करेगी एसटीएफ
एसटीएफ ने दावा किया है कि संदीप ने पांच कम्पनियों में रकम निवेश कर रखी है। एसटीएफ के इंस्पेक्टर आदित्य कुमार सिंह के मुताबिक कानपुर रोड और भिठौली क्रासिंग के पास स्काईडेक ऑटो एंड इन्फ्रा लि., अयोध्या रोड पर दिव्यांश कन्सट्रक्शन एंड डेवलपर प्रा. लि., इंदिरानगर में दिव्यांशी डेवलपर प्रा. लि.,मलेशेमऊ व अलीगंज में कस्टम स्वीट शाप, लालबाग में जीएसस स्ट्रक्चर्स में संदीप ने रकम लगाई है।
पूर्व सांसद धनंजय सिंह पर हमले का आरोपी है संदीप
फर्जी शस्त्र लाइसेंस में गिरफ्तार संदीप कुमार सिंह वर्ष 2002 में चार अक्टूबर को वाराणसी में धनंजय सिंह पर एके-47 से हुये हमले में आरोपित रहा है। इस घटना में अभय सिंह, संदीप सिंह, संजय सिंह व विनोद सिंह नामजद हुये थे। यह मामला कोर्ट में विचाराधीन है। इसके अलावा संदीप पर वाराणसी व अयोध्या में गैंगस्टर लग चुका है। उसके खिलाफ वाराणसी, जौनपुर, अयोध्या में 10 मुकदमे दर्ज हैं। एसटीएफ के मुताबिक संदीप पर वर्ष 2003 में वाराणसी की कैंट पुलिस ने गैंगस्टर एक्ट का मुकदमा दर्ज किया था। इसके दो साल बाद यानी 2005 में अयोध्या के रौनाही थाने पर संदीप के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई हुई।
अयोध्या में लिया फर्जी दस्तावेज से लाइसेंस
एसटीएफ की रिपोर्ट में यह भी लिखा गया है कि संदीप ने अयोध्या (तब फैजाबाद) के डीएम से जो शस्त्रत्त् लाइसेंस वर्ष 2004 में बनवाया था, वह झूठे शपथ पत्र के आधार पर दिया गया था। संदीप ने शपथ पत्र में मुकदमों जिक्र नहीं किया था। रिपोर्ट में लिखा है कि नगालैंड से बिना शस्त्रत्त् लाइसेंस जारी कराये रायफल को अवैध रूप से रखने और फर्जी दस्तावेज के आधार पर लखनऊ में उसे स्थानान्तरित कराना गम्भीर अपराध की श्रेणी में आता है।
रायफल और पिस्टल नंदा गन हाउस में जमा थी
एसटीएफ ने बताया संदीप के घर पर शस्त्र नहीं मिले थे। जब उससे रायफल व पिस्टल के बारे में पूछा गया तो उसने बताया कि दोनों असलहे लाटूश रोड स्थित नंदा गन हाउस में जमा है। इस पर एसटीएफ ने वहां से दोनों असलहे जब्त कर लिये।
संदीप ने बताया कि कूटरचित शपथ पत्र दकेकर शस्त्र लाइसेंस प्राप्त किया है। यहीं पर उसके शस्त्रत्त् लाइसेंस भी रखे थे। अयोध्या में बना शस्त्रत्त् लाइसेंस भी लखनऊ स्थानान्तरित करा लिया गया था। इसमें भी फर्जी शपथ पत्र दिखाया गया था। इस बारे में एसटीएफ अयोध्या के डीएम को भी शस्त्रत्त् लाइसेंस निरस्त करने की संस्तुति करेगी। यह बात भी सामने आयी है कि संदीप कभी नगालैंड गया ही नहीं। उसने एक परिचित के जरिये वहां से रायफल का लाइसेंस बनवा लिया था।
डीएम कार्यालय से शस्त्र लाइसेंस की फाइल लापता
डीएम लखनऊ का कमरा नम्बर 36 (असलहा लाइसेंस कक्ष) हमेशा चर्चा में रहता है। संदीप का नगालैंड का शस्त्रत्त् लाइसेंस फर्जी दस्तावेजों से पर यहीं स्थानान्तरित हो गया। एसटीएफ ने जब जांच की तो यहां के असलहा सेक्शन से संदीप की स्थानान्तरित वाली शस्त्रत्त् लाइसेंस की फाइल ही गायब कर दी गई।
यह बात सामने आने पर एसटीएफ डीएम लखनऊ को इन कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की संस्तुति के लिए पत्र लिख रही है। संदीप के शस्त्र लाइसेंस के बारे में जब एसटीएफ को शिकायत हुई तो उसने जांच शुरू की। जब एसटीएफ की एक टीम डीएम के कार्यालय में बने असलहा सेक्शन में गई तो पता चला कि नगालैंड से जारी दिखाये गये इस लाइसेंस की पत्रावली ही आफिस में नही है। दावा किया जा रहा है कि जांच की भनक लगते ही यह फाइल गायब कर दी गई।
2004 से अब तक कैसे नवीनीकरण होता रहा
असलहा सेक्शन के कर्मचारियों पर एसटीएफ का शक इसलिये गहराया क्योंकि संदीप का यह शस्त्रत्त् लाइसेंस यहां वर्ष 2004 में स्थानान्तरित हुआ। फिर इसका नवीनीकरण वर्ष 2007 से अब तक होता रहा। यही नहीं वर्ष 2014 में उसका जांच कर यूनिक आईडी नम्बर भी आवंटित कर दिया गया। जब एसटीएफ ने इस बारे में डीएम आफिस को पत्र लिखकर जानकारी मांगी तो पता चला कि संदीप के इस लाइसेंस के दस्तावेज वाली फाइल ही रिकार्ड में नहीं है।
गुपचुप जांच में कई खामियां उजागर हुई
एसटीएफ सूत्रों का दावा है कि फाइल गायब होने के बाद उनकी टीम ने गुपचुप तरीके से असलहा सेक्शन में पड़ताल की। कई लोगों से पूछताछ की। इसमें ही यहां कई खामियां सामने आयी। यह भी पता चला कि यहां पर कुछ लोगों के इशारे पर कुछ भी कराया जा सकता है। एसटीएफ ने यह तक दावा किया कि तीन चार लोग यहां बेरोकटोक आते-जाते हैं। इनमें ही एक शख्स ने संदीप के करीबी से रुपये लेकर उसका सारा काम चुटकियों में करा डाला था। एसटीएफ ने इस शख्स को रडार पर ले लिया है। साभार एचटी।
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फाइल फोटो |
रिपोर्ट: अमित कुमार सिंह
जर्नलिस्ट
a.singhjnp@gmail.com
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