आजमगढ़। जिले के सरकारी अस्पतालों में इलाज के लिए आने वाले पचास हजार से अधिक मरीजों को मिसब्रांडेड (मिथ्याछाप) एंटीबायोटिक दवा बांट दी गई। औषधि प्रशाासन विभाग की जांच में मामला खुलने के बाद अब उप्र मेडिकल कारपोरेशन ने आजमगढ़ सहित सभी जिलों को पत्र भेजकर दवाएं वापस मंगाई हैं।
उप्र मेडिकल कारपोरेशन की तरफ से अगस्त माह में सभी जिलों को सेप्लाक्सिन 250-एमजी कैप्सूल भेजे गए थे। आजमगढ़ में 8 अगस्त को 60 हजार कैप्सूल भेजे गए थे। दवा को छतवारा स्थित ड्रग वेयर हाउस में रखवाया गया। यहां से जिले के अलग-अलग इलाकों में स्थित सीएचसी-पीएचसी में मरीजों को वितरित करने के लिए दवा भेजी गई। औषधि प्रशासन विभाग की निरीक्षक सीमा वर्मा ने 11 अगस्त को ड्रग वेयर हाउस में रखी दवा का सैंपल लेकर जांच के लिए आगरा स्थित प्रयोगशाला भेजा था। 18 सितंबर को प्रयोगशाला से जांच रिपोर्ट आई। जिसमें इसे मिसब्रांडेड पाया गया। इसकी रैपरिंग गलत थी। हालांकि तब तक अधिकांश अस्पतालों में दवाएं बांटी जा चुकी थीं। ड्रग इंस्पेक्टर की रिपोर्ट के बाद उप्र मेडिकल कारपोरेशन ने दवाओं को वापस मंगाने का निर्णय लिया। इसके बाद 7 नवंबर को सभी जिलों में दवा वापस मंगाने के लिए आदेश हुआ। तब तक अधिकांश अस्पतालों में मरीजों को दवाएं वितरित की जा चुकी थीं। जनपद में अस्पतालों से करीब पांच हजार कैप्सूल वापस मंगाए गए हैं। ड्रग इंस्पेक्टर सीमा वर्मा ने बताया कि इंदौर की कंपनी मेन्यूक्टर जेस्ट फार्मा ने इस दवा को तैयार किया था। जांच में दवा मिसब्रांडेड पाई गई है। बची दवाओं को मेडिकल कारपोरेशन की तरफ से वापस मंगाया जा रहा है। साभार एचटी।
![]() |
फाइल फोटो |
रिपोर्ट: अमित कुमार सिंह
जर्नलिस्ट
a.singhjnp@gmail.com
एक टिप्पणी भेजें