अलवर। राजस्थान को जल्द ही नया मुख्यमंत्री मिलने वाला है। सीएम की दौड़ में सबसे आगे नाम बाबा बालकनाथ योगी का चल रहा है। इन्होंने तिजारा सीट से विधायक का चुनाव जीतने के बाद अलवर से सांसदी छोड़ दी है।
तिजारा सीट पर कांग्रेस के इमरान खान को 6173 वोटों से हराकर राजस्थान के मुख्यमंत्री बनने की दौड़ में शामिल हुए महंत बालकनाथ योगी के माता-पिता ने बड़े बेटे पंकज (बचपन का नाम) के बाबा बालकनाथ बनने की पूरी कहानी शेयर की है।
दरअसल, बाबा बालकनाथ का जन्म 16 अप्रैल 1984 को राजस्थान के अलवर जिले के बहरोड़ (नया जिला) के गांव कोहराना में किसान सुभाष यादव व उर्मिला के घर जन्म हुआ। इनके बचपन का नाम पंकज था। साधु-संतों की संगत में आने के बाद ये पंकज से गुरुमुख और फिर महंत बाबा बालकनाथ बन गए।
मीडिया से बातचीत में सुभाष यादव ने बताया कि उनके परिवार की बाबा खेतानाथ में गहरी आस्था थी। पूरा परिवार खेतानाथ महाराज की सेवा करता था। नीमराना स्थित मंदिर में खेतानाथ व सोमनाथ महाराज के पास जाता था। उन्होंने सेवा के लिए एक बेटा मांग लिया था।
बड़ा बेटा पंकज (बालकनाथ) छह साल का था तब खेतानाथ महाराज उनको लेने आए थे। दादी संतरा की इजाजत के बाद वे उनके साथ उत्साहपूर्वक चले गए और फिर गृहस्थ जीवन में लौटकर नहीं आए। फिर दादी की मौत हुई तब 32 साल की उम्र में घर आए थे। हालांकि मंदिर में जाते तब उनसे मुलाकात कर लिया करते थे।
मिलते हैं तब पिता सुभाष अपने बेटे बालकनाथ के पैर छूने की कोशिश करते हैं, तो वो ऐसा करने से मना कर देते हैं। पिता के सामने वे सिर्फ हाथ जोड़ लेते हैं। गृहस्थ जीवन छोड़ने के बाद बालकनाथ ने अपने गुरु चंचलनाथ को ही पिता का दर्जा दिया। तिजारा सीट पर चुनाव शपथ पत्र में भी पिता का नाम चंचलनाथ लिखा है।
गुरुवार को जन्म होने के कारण महाराज खेतानाथ ने पंकज का नाम गुरुमुख रखा था, जिन्हें बाद में बाबा बालकनाथ नाम भी मिला। बालकनाथ शुरुआती दिनों में मत्स्येंद्र महाराज आश्रम में रहे। फिर महंत चांदनाथ के साथ हनुमानगढ़ जिले के नाथावली थेरी गांव में एक मठ में चले गए।
महंत बालकनाथ बाबा मस्त नाथ विश्वविद्यालय के चांसलर और नाथ सम्प्रदाय के आठवें मुख्य महन्त हैं। महंत चांदनाथ ने 29 जुलाई, 2016 को बालकनाथ को उनके उत्तराधिकारी के रूप में घोषित किया था।
महंत चांदनाथ का निधन 17 सितंबर 2018 को हुआ था। साल 2019 में बालकनाथ अलवर सीट सांसद चुने गए थे अब तिजारा सीट से विधायक बनकर सीएम की दौड़ में हैं।
माता-पिता कहते हैं कि उनकी भी दुआ है कि बेटा राजस्थान मुख्यमंत्री बन जाए। हालांकि उनके मुख्यमंत्री शपथ ग्रहण सममारोह में हिस्सा लेने की कोई इच्छा नहीं है। ना ही मुख्यमंत्री के माता-पिता की वजह से कोई सुरक्षा व्यवस्था चाहते हैं। ये पहले की तरह का ही अपना सामान्य जीवन जीना चाहते हैं। साभार वन इंडिया।
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फाइल फोटो |
रिपोर्ट: अमित कुमार सिंह
जर्नलिस्ट
a.singhjnp@gmail.com
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