Success Storie: वर्मी कंंपोस्ट से कैसे कमाएं लाख रुपए, युवा पत्रकार ने साबित कर के दिखाया

Success Storie: वर्मी कंंपोस्ट से कैसे कमाएं लाख रुपए, युवा पत्रकार ने साबित कर के दिखाया

अम्बेडकर नगर। कहानी एक ऐसे युवा पत्रकार की विवेक कुमार सिंह की जिन्होंने जोखिमों की परवाह किए बिना अलग रास्ता अपनाया और ना केवल अपनी खेती की विधि में सुधार किया, बल्कि आस-पास के किसानों को जैविक खाद का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया. इस किसान ने रासायनिक मुक्त खेती की एक नई पहल की और बताया कि खेती में लागत कम की जा सकती है।

आज हम एक ऐसे ही युवा पत्रकार के बारे में जानेंगे जिन्होंने जोखिमों की परवाह ना करके अलग रास्ता अपनाया और अपने लक्ष्य को हासिल किया.  उत्तर प्रदेश के जनपद अम्बेडकर नगर मुख्यालय से 32 किलोमीटर दूर बुकिया मकदूमपुर गांव के निवासी विवेक कुमार सिंह ने न सिर्फ अपनी खेती की विधि में सुधार किया बल्कि आस-पास के लोगों को जैविक खाद मुहैया कराकर रसायन मुक्त खेती की एक नई पहल की।

वर्मी कंंपोस्ट से कैसे  लाखों रुपये कमाए जा सकते हैं, आइए विवेक सिंह की सक्सेस स्टोरी से जानते हैं।

रासायनिक खेती से घटते मुनाफे से नई सोच

विवेक सिंह ने जनमोर्चा को बताया कि उन्होंन मास कम्युनिकेशन में स्नातक किया। इससे पहले वह बीएड करने के साथ यूपी टीईटी और सुपर टेट की परीक्षाएं पास कर चुके हैं। और फिर नौकरी की तलाश शुरू कर दी. वह लखनऊ और नोएडा में हिंदी दैनिक नवभारत टाइम्स में बतौर पत्रकार सालों तक काम कर चुके हैं। लेकिन किसानों के लिए कुछ अच्छा करने की सोच और खेती को हानिकारक रसायनों से बचाने की सोच के चलते उन्होंने वर्मी कम्पोस्ट खाद तैयार करने की यूनिट शुरू की। उन्होंने पांच कुंतल केंचुए के साथ वर्मी कम्पोस्ट यूनिट की शुरुआत की।

इसके बाद उन्होंने अपनी पुश्तैनी जमीन पर खेती करनी शुरू कर दी। उन्हें पता था कि सिर्फ सामान्य तरीके से खेती करके इतनी कम जमीन पर वे ज्यादा कमाई नहीं कर सकते हैं। इसलिए उन्होंने सोचा कि क्यों न खेती में ही कुछ ऐसा किया जाए कि आमदनी भी अच्छी हो और खेती में नया प्रयोग भी हो।  कुछ अलग करने की सोच रखने वाले विवेक ने देखा कि अक्सर छोटी जोत के किसान खाद और रसायनों की किल्लत से दो चार हो रहे हैं. इसके बावजूद महंगी खादों का प्रयोग करने से भी किसानों को अपेक्षित उत्पादन और लाभ नहीं मिल पा रहा है।

वर्मी कंपोस्ट खेतों के लिए रामबाण

विवेक सिंह बताते हैं कि उनके यहां बनाई जाने वाली खाद की यह खास बात है कि वे इसकी गुणवत्ता का पूरा खयाल रखते हैं। वे समय-२ पर खाद की गुणवत्ता की जांच कराने के लिए उसका लैब टेस्ट भी कराते रहते हैं। इस खाद में 1.8 प्रतिशत नाइट्रोजन, 2.5 प्रतिशत फास्फोरस और 3.23 प्रतिशत पोटाश पाया गया है. इसलिए इस खाद से पौधों की बढ़वार और उपज दोनों अच्छी होती है. विवेक का कहना है कि वर्मी कंपोस्ट के जरिए खेतों के लिए जरूरी कई तरह के पोषक तत्व प्राकृतिक तौर पर मिल जाते हैं। इसके लिए केमिकल पर आश्रित होने की मजबूरी नहीं होती है. वर्मी कम्पोस्ट खाद कम्पोस्ट खाद की तुलना में दस गुना अधिक ताकतवर है। इसके प्रयोग से मिट्टी का पीएच मान संतुलित रहता है और जमीन की जल धारण क्षमता में इजाफा होता है। इसकी सहायता से पैदा की गयी फ़सल में सामान्य फ़सल की तुलना में गुणवत्तापूर्ण होती है।
उनके यहां तैयार खाद भूमि जैविक वर्मी कम्पोस्ट के नाम से बाजार में किसानों के लिए यह खाद उपलब्ध है। विवेक आगे बताते हैं कि किसानों के लिए 25 किग्रा की बोरी ₹300 में उपलब्ध है। विवेक अपने यहां लोगों को निःशुल्क प्रशिक्षण भी उपलब्ध कराते हैं। वर्मी कम्पोस्ट खाद या प्रशिक्षण के लिए उनके मोबाइल नंबर 9415701185 पर संपर्क किया जा सकता है।

विवेक सिंह, युवा पत्रकार 

रिपोर्ट: अमित कुमार सिंह
जर्नलिस्ट
parmartimes@gmail.com

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