शहरों की तर्ज पर अब गांव में भी ई-रिक्शा से उठाया जाएगा कूड़ा-कचरा; देना पड़ेगा शुल्क

शहरों की तर्ज पर अब गांव में भी ई-रिक्शा से उठाया जाएगा कूड़ा-कचरा; देना पड़ेगा शुल्क

मऊ। शहरों की तर्ज पर अब गांवों में भी घर-घर से ई-रिक्शा से कचरा उठाया जाएगा। पंचायती राज विभाग की ओर से पहल तेज कर दी गई है। स्वच्छ भारत मिशन के तहत ई-रिक्शा के सभी ग्राम पंचायतों को धनराशि आवंटित कर दी गई है।

कचरे की छंटनी कर उससे खाद बनाई जाएगी।
इसके लिए ग्राम पंचायतों की ओर से महीने में एक बार हर घर और दुकानों से शुल्क वसूला जाएगा और शुल्क की पर्ची भी दी जाएगी। इसकी जिम्मेदारी ग्राम पंचायत सचिव और सहायक सचिव की होगी। स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण फेज-1 में जिले की 26 ग्राम पंचायतों और फेज-2 में 259 ग्राम पंचायतों को चिह्नित किया गया है। ई-रिक्शा खरीदने के लिए जिले की 285 ग्राम पंचायतों के खाते में चार करोड़ 70 लाख 25 हजार धनराशि दी गई है।
गांव में तैनात सफाईकर्मी ई-रिक्शा लेकर प्रत्येक घर, दुकानों, सार्वजनिक जगहों और बाजार से हर रोज कचरा इकट्ठा कर करेंगे इन ग्राम पंचायत में बन रहे आरआरसी सेंटर (ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन केंद्र) में पहुंचाएंगे। जिन ग्राम पंचायतों में सफाईकर्मी तैनात नहीं होंगे। वहां गांव में कार्यरत स्वयं सहायता समूह या वेतन पर मजदूर तैनात कर सफाई कराई जाएगी। ई-रिक्शा पर विशेष बॉक्स बने होंगे जिनमें सूखा और गीला कचरा अलग अलग रखा जाएगा। ई-रिक्शा का रूट चार्ट, चालक का नाम, उसका मोबाइल नंबर, कचरा इकट्ठा करने का समय गांव में सार्वजनिक जगहों और आरआरसी सेंटर की दीवार पर वॉल पेंटिंग के माध्यम से दर्शाया जाएगा।
कूड़ा इकट्ठा करने में किसी तरह की शिकायत के लिए एक विशेष नंबर जारी किया जाएगा। आरआरसी सेंटर में पहुंचाने के बाद कचरे की छंटनी कर उससे खाद बनाई जाएगी। छंटनी के बाद निकले लोहा, मेटल, कांच, प्लास्टिक आदि और कंपोस्ट खाद बेचकर मिलने वाली धनराशि को ग्राम पंचायत बैंक खाते में जमा करेंगी। इससे हर माह रखे गए मजदूर, स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को वेतन दिया जाएगा। बची धनराशि से अन्य विकास कार्यों में उपयोग किया जाएगा। इससे ग्राम पंचायतें स्वावलंबी बनेंगी।

कोट
गांवों को स्वच्छ बनाने के लिए अब शहरों की तरह प्रतिदिन घर-घर से कूड़ा उठाया जाएगा। इसका दायित्व ग्राम पंचायत में तैनात सफाईकर्मी को दिया जाएगा, जो गांव में बने आरआरसी सेंटर तक कूड़ा पहुंचाएगा। स्वच्छ भारत मिशन की ओर से इसके लिए धनराशि भी आवंटित कर दी गई है। इकट्ठा कचरे से कंपोस्ट खाद बनाकर बेचा जाएगा, इससे ग्राम पंचायतें स्वावलंबी बनेंगी। - राजेंद्र प्रसाद, डीपीआरओ। साभार ए यू।

फाइल फोटो

रिपोर्ट: अमित कुमार सिंह
जर्नलिस्ट
parmartimes@gmail.com

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