भाजपा प्रत्याशी दिनेश लाल यादव निरहुआ को मिला मुस्लिमों का समर्थन, समाजवादी पार्टी की बढ़ी मुश्किलें

भाजपा प्रत्याशी दिनेश लाल यादव निरहुआ को मिला मुस्लिमों का समर्थन, समाजवादी पार्टी की बढ़ी मुश्किलें

आजमगढ़। लोकसभा चुनाव 2024 में 'एमवाई' फैक्टर के जरिए आजमगढ़ फतह करने का सपना देख रही समाजवादी पार्टी से भाजपा प्रत्याशी दिनेश लाल यादव निरहुआ एक कदम आगे चल रहे हैं. एक तरफ जहां सपा प्रत्याशी धर्मेंद्र यादव पर परिवारवाद और बाहरी प्रत्याशी का आरोप लगाकर यादव मतदाताओं को अपने पक्ष में करने का निरहुआ दावा कर रहे हैं, वहीं रमजान के महीने में इफ़्तार पार्टी में शामिल होने के बाद मुस्लिम बाहुल्य इलाके मुबारकपुर में नगरपालिका अध्यक्ष डॉ. समीम और उनके साथियों का समर्थन भी निरहुआ को मिल गया है.

फाइल फोटो

मुस्लिमों का समर्थन मिलने के बाद से समाजवादी पार्टी की मुश्किलें बढ़ गई हैं.

आजमगढ़ जिले में समाजवादी पार्टी से धर्मेंद्र यादव और भाजपा से दिनेश लाल यादव निरहुआ एक बार फिर आमने सामने हैं. कयास लगाए जा रहे थे कि आजमगढ़ में समाजवादी पार्टी कि मजबूत पकड़ बनी हुई है. कारण 2022 के लोकसभा चुनाव में सपा के हार का कारण बने बहुजन समाज पार्टी- बीएसपी के कद्दावर नेता शाह आलम उर्फ़ गुड्डू जमाली अब सपा के पाले में हैं. इतना ही नहीं विधानपरिषद के चुनाव में शाह आलम और बलराम यादव को विधान परिषद भेजकर सपा ने फुलप्रूप प्लान तैयार कर लिया था. इतनी तैयारी के बाद धर्मेंद्र यादव को मैदान में उतारा गया. लेकिन प्रत्याशी बनाये जाने के बाद भी धर्मेंद्र यादव अबतक आजमगढ़ नहीं पहुंचे. वही दूसरी तरफ भाजपा प्रत्याशी दिनेश लाल यादव निरहुआ ने शाह आलम उर्फ़ गुड्डू जमाली के ही इलाके में सेंधमारी कर न सिर्फ सपा की बेचैनी को बढ़ा दिया बल्कि नगर पालिका अध्यक्ष प्रतिनिधि और उनके समर्थकों को अपने पाले में करते हुए एक बड़ी तादात में मुसलमानों को समर्थन पाकर सपा को एक बड़ा झटका भी दे दिया है.

नगरपालिका अध्यक्ष डॉ. समीम ने बताया कि निरहुआ न सिर्फ एक अच्छे इंसान है बल्कि एक अच्छे नेता हैं. उन्होंने कहा कि उन्होंने निरहुआ को समर्थन देने का ऐलान किया है.

वही समाजवादी पार्टी के मुबारकपुर विधायक अखिलेश यादव ने कहा कि वर्ष 2022 के चुनाव में मिली हार से हमने सबक ले लिया है. सपा ने पूरी तैयारी कर ली है जहां तक निरहुआ के इफ्तारी पार्टी में शामिल और डॉ. समीम के समर्थन की बात है तो समीम के ऊपर प्रशासनिक दबाव बनाया गया है, जिसकी वहज से उन्होंने समर्थन दिया है. इस समर्थन का वोट पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.

आजमगढ़ लोकसभा चुनाव
आजमगढ़ लोकसभा सीट पर 2019 में हुए चुनाव में समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव चुनाव जीते थे. अखिलेश यादव के विधानसभा चुनाव लड़ने के कारण यह सीट खाली हुई थी. उस चुनाव में अखिलेश को 6.21 से अधिक वोट मिले थे. यह चुनाव सपा और बसपा के गठबंधन में लड़ा गया था. बीजेपी से निरहुआ को 3.61 वोट मिले थे. 2022 में इस सीट पर लोकसभा के लिए उपचुनाव हुआ था. इसमें निरहुआ ने जीत दर्ज की थी. निरहुआ को 3.12 लाख वोट मिले थे. निरहुआ के सामने अखिलेश यादव के चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव थे. धर्मेंद्र को 3.04 लाख वोट मिले थे. यहां बीएसपी भी चुनाव लड़ी थी और बीएसपी के गुड्डू जमाली को 2.66 वोट मिले. यानी सपा और बसपा में बंटे वोट के कारण बीजेपी को जीत मिली थी. साभार न्यूज 18.

फाइल फोटो 

रिपोर्ट:अमित कुमार सिंह
एडिटर इन चीफ(परमार टाईम्स)
parmartimes@gmail.com

0/Post a Comment/Comments

और नया पुराने