Viral Video: पति-पत्नी का रिश्ता प्यार और सम्मान पर टिका होता है, लेकिन चटगांव के एक मौलाना ने इस रिश्ते को जिस तरह शर्मसार किया, वह हर किसी को झकझोर कर रख देने वाला है.
यह घटना रेलवे स्टेशन पर हुई, जहां मौलाना अपनी दूसरी पत्नी के साथ चटगांव के लिए रवाना हो रहा था.
तभी अचानक उसकी पहली पत्नी वहां पहुंच गई. शायद वह अपने पति से कुछ कहना चाहती थी, शायद वह अपनी शादी बचाने आई थी, लेकिन उसे जो मिला, वह था अपमान, मारपीट और दर्द.
सबके सामने पत्नी को बेरहमी से पीटा
पहली पत्नी को देखते ही मौलाना का गुस्सा फूट पड़ा. उसने न तो पत्नी की कोई बात सुनी और न ही उसे सफाई देने का मौका दिया. उसने सबके सामने अपनी पहली पत्नी को बेरहमी से पीटना शुरू कर दिया. महिला चीखती रही, मदद की गुहार लगाती रही, लेकिन मौलाना ने उसे एक पल भी नहीं बख्शा.
सबसे हैरान करने वाली बात यह थी कि यह सब उसकी दूसरी पत्नी देख रही थी, लेकिन उसने कोई विरोध नहीं किया. स्टेशन पर खड़े लोग भी तमाशा देखते रहे, मगर किसी ने हिम्मत नहीं दिखाई कि वह मौलाना को रोके.
चलती ट्रेन के पीछे भागती रही पत्नी, मौलाना मारता रहा लात और धक्के
इतना ही नहीं, जब ट्रेन चलने लगी, तो बेबस पत्नी अपने पति के पीछे दौड़ने लगी. लेकिन मौलाना ने न केवल उसे धक्का दिया, बल्कि उसे लात भी मारी और ट्रेन में चढ़कर चला गया. वह चिल्लाती रही, रोती रही, लेकिन किसी ने उसकी मदद नहीं की.
सोशल मीडिया पर लोगों ने दी मिली-जुली प्रतिक्रिया
यह घटना जब सोशल मीडिया पर वायरल हुई, तो लोगों की मिली-जुली प्रतिक्रियाएं सामने आईं. कुछ लोगों ने इसे पति-पत्नी का निजी मामला बताया और कहा कि इस पर चर्चा नहीं होनी चाहिए. वहीं, कुछ लोगों ने कहा कि जब बात सार्वजनिक हो जाती है, तो यह सिर्फ पति-पत्नी तक सीमित नहीं रहती, बल्कि समाज के लिए भी एक मुद्दा बन जाती है.
हालांकि, कुछ ऐसे भी लोग थे, जिन्होंने मौलाना के इस कृत्य को सही ठहराया और धार्मिक आधार पर उसका समर्थन किया. यह देखना वाकई हैरान करने वाला था कि कुछ लोग इस तरह की हिंसा को भी जायज ठहराने की कोशिश कर रहे थे.
कब तक महिलाएं सहती रहेंगी अत्याचार?
यह घटना सिर्फ एक महिला की नहीं, बल्कि उन तमाम महिलाओं के लिए सोचने का विषय है, जो अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाने से डरती हैं. सवाल यह है कि आखिर कब तक महिलाओं के साथ इस तरह का व्यवहार किया जाता रहेगा? क्या कानून ऐसे मामलों में कोई ठोस कदम उठाएगा? और सबसे अहम बात, क्या ऐसे लोगों को समाज में इज्जत मिलनी चाहिए?
इस घटना ने यह दिखा दिया कि कई बार रिश्तों में इंसानियत से ज्यादा अहमियत ताकत और जुल्म की होती है. लेकिन क्या हम इसे सही ठहरा सकते हैं? शायद नहीं!साभार जेबीटी।
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फाइल फोटो |
रिपोर्ट:अमित कुमार सिंह
एडिटर इन चीफ(परमार टाईम्स)
parmartimes@gmail.com
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