सीकर । जिले के खटूंदरा गाँव में करणी माता का एक चमत्कारी मंदिर है, जहाँ बेरोजगार लोग नौकरी पाने की मन्नत लेकर आते हैं। इस मंदिर का इतिहास भी बड़ा रोचक है। पुजारी वासुदेव सिंह पालावत के अनुसार, खटूंदरा राय माता के नाम से प्रसिद्ध करणी माता मंदिर की स्थापना लगभग 300 वर्ष पूर्व हुई थी।
उस समय खटूंदरा में चारणों की 18 बीघा भूमि पर जागीरदारी थी। देशनोक की करणी माता के देहांत के बाद चारणों के बड़े ठिकानों पर मूर्तियाँ स्थापित की गईं। इनमें खटूंदरा गाँव भी चारणों का एक बड़ा ठिकाना था।
उन्होंने बताया कि चारणों के स्वामी सांवलदास महाराज नाड़ा चारणवास (दांता रामगढ़) अपने पिता की अस्थियाँ लेकर लोहार्गल जा रहे थे। वे खटूंदरा में रात्रि विश्राम कर रहे थे, तभी उन्हें रात्रि में दैवीय शक्ति का आभास हुआ। महाराज ने कई देवियों का आह्वान किया, जिनमें से उन्होंने खाटू का नाम लिया, तब आवड़ माता प्रकट हुईं। माताजी ने सांवरियाजी महाराज को एक अस्त्र कुल्हाड़ी भेंट की और कहा कि इसकी पूजा करो, जब दूसरा अवतार होगा तब मूर्ति स्थापित की जाएगी। उस कुल्हाड़ी की आज भी मंदिर में पूजा होती है।
इंद्र कंवर बाईसा पुरुष वेश में रहती थीं
87 वर्ष पूर्व आसोज सुदी चौदस संवत 1995 को चारण गोत्र की देवी इंद्र कंवर बाईसा की दिव्य शक्ति द्वारा आवड़ माता की स्थापना की गई थी। इंद्र कंवर बाईसा सदैव पुरुष वेश में रहती थीं। जाने से पहले इंद्र बाईसा ने अमर रोटी का वरदान दिया कि जो कोई भी इस माता के स्थान पर अपना शीश नवाएगा उसे अमर रोटी मिलेगी। 2018 में माताजी के मंदिर का निर्माण पुनः प्रारंभ हुआ। उस समय, जब माताजी के दरबार में प्रार्थना करने वालों की मनोकामनाएँ पूरी हुईं, तो माताजी के मंदिर का निर्माण उनके पहले वेतन से प्रारंभ हुआ। कांस्टेबल छगन मीणा ने यहाँ प्रार्थना करके अमेरिका में पुलिस फायर गेम्स प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीता था।
बेरोजगारों की पूरी होती है दुआ
बेरोजगारों द्वारा नौकरी के लिए की गई दुआ जरूर पूरी होती है। यही वजह है कि सरकारी भर्ती परीक्षाओं की तैयारी करने वाले अभ्यर्थी अक्सर इस मंदिर में आते हैं। सीकर शहर में रहकर एसएससी की तैयारी कर रहे कुलदीप सिंह ने बताया कि जब भी उनका मन करता है, वे यहां आते हैं। इस मंदिर में आकर उन्हें आत्मिक शांति मिलती है। यही वजह है कि इस मंदिर को नौकर वाली करणी माता मंदिर के नाम से जाना जाता है। खास बात यह है कि इस मंदिर में भक्तों को प्रसाद के रूप में रोटी दी जाती है। यहां प्रसाद के रूप में आटे से बनी रोटी चढ़ाई जाती है। साभार एसएन।
![]() |
फाइल फोटो |
रिपोर्ट:अमित कुमार सिंह
एडिटर इन चीफ(परमार टाईम्स)
parmartimes@gmail.com
एक टिप्पणी भेजें