शाहजहांपुर। वाराणसी निवासी राधेराम सोमवार को अपने बेटे शाहजहांपुर के एडीएम (वित्त एवं राजस्व) अरविंद कुमार से मिलने अचानक उनके कार्यालय पहुंच गए। यह तैनाती के बाद पिता की बेटे से पहली मुलाकात थी।
बेटे को बिना बताए पहुंचे पिता ने फरियादी की तरह हाथ जोड़कर नमस्कार किया। सामने पिता को देख एडीएम भावुक हो गए।
इस भावुक क्षण में पिता ने बेटे को नसीहत दी कि यह न्याय की कुर्सी है, किसी से रिश्वत मत लेना, गरीबों को मत सताना। जैसे भगवान के घर न्याय होता है वैसे ही इस कुर्सी से भी न्याय देना। एडीएम अरविंद कुमार ने पिता की बातों को गंभीरता से सुना और उन्हें सम्मानपूर्वक अपने बराबर की कुर्सी पर बैठाया।
'मैं अंगूठा छाप, बच्चों को पढ़ाया'
राधेराम ने बताया कि वह अंगूठा छाप हैं और पीडब्ल्यूडी में मेट की नौकरी करते थे। आर्थिक तंगी के बावजूद बच्चों की पढ़ाई में कभी कमी नहीं आने दी। अरविंद ने बनारस, इलाहाबाद और दिल्ली से पढ़ाई की। पिता बोले, मेरा बेटा ईमानदारी से काम करे, किसी डुप्लीकेट या फर्जी कमाई से दूर रहे। यह कुर्सी बड़ी मुश्किल से मिली है, इसे न्याय और सेवा के लिए ही इस्तेमाल करना।
एडीएम अरविंद बोले- पिता घूमने आए थे
एडीएम अरविंद कुमार ने कहा कि पिता सिर्फ यह देखने आए थे कि बेटे का दफ्तर कैसा है। उनकी नसीहत को जीवन में उतारने की पूरी कोशिश करूंगा। उन्होंने बताया कि उनकी बहन कुमारी चिंता टीचर हैं, दो भाई चीनी निगम में कार्यरत हैं। मां धनरावती का 2018 में निधन हो गया था। वह शाहजहांपुर में पत्नी सौम्या के साथ रहते हैं।
संघर्षों से अधिकारी तक का सफर
एडीएम अरविंद ने बताया कि गांव के स्कूल से पढ़ाई शुरू हुई। 11वीं में फेल होने के बाद पढ़ाई छोड़ी, लेकिन एक विवाद के बाद ठान लिया कि बदला पढ़ाई के दम पर ही लेंगे। गुस्से को पढ़ाई में लगाया और 2010 में ग्रेजुएशन, 2012 में पोस्ट ग्रेजुएशन पूरा किया। 2013 में पीसीएस की तैयारी शुरू की।
पहली बार में असफल रहे, लेकिन हिम्मत नहीं हारी। 2015 में ट्रेनिंग के बाद कुशीनगर में एसडीएम पद से सेवा की शुरुआत की। सुल्तानपुर और बहराइच में भी अहम जिम्मेदारी निभाई। 18 फरवरी 2025 को शाहजहांपुर में एडीएम (वित्त एवं राजस्व) के पद पर तैनात हुए। साभार ए यू।
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| फाइल फोटो |
रिपोर्ट:अमित कुमार सिंह
एडिटर इन चीफ(परमार टाईम्स)
parmartimes@gmail.com

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