वित्तीय अनियमितताओं के आरोप में जेल सुपरिंटेंडेंट पर गिरी गाज,52.85 लाख रुपए के गबन का लगा आरोप

वित्तीय अनियमितताओं के आरोप में जेल सुपरिंटेंडेंट पर गिरी गाज,52.85 लाख रुपए के गबन का लगा आरोप

आजमगढ़। जिले के जेल सुपरिंटेंडेंट आदित्य कुमार सिंह को निलंबित कर दिया गया है। आदित्य कुमार सिंह पर शिथिल पर्यवेक्षण और शिथिल पर्यवेक्षण के साथ ही वित्तीय अनियमितताओं और अपने कर्तव्यों के निर्वहन में सफल न होने का आरोप लगा है।

निलंबन की पुष्टि अपर महानिरीक्षक कारागार धर्मेंद्र सिंह ने की है। आजमगढ़ जेल का सरकारी खाता जेल अधीक्षक आदित्य कुमार के नाम से ऑपरेट होता था। इसी खाते में सरकार पैसा भेजती थी। जेल में काम करने वाले कैदियों का भुगतान भी इसी खाते से किया जाता था। इसी खाते से कैदियों ने 52 लाख 85 हजार की धोखाधड़ी की थी।

जेल सुपरिंटेंडेंट,आदित्य कुमार सिंह,फाइल फोटो 

डीआईजी जेल शैलेंद्र कुमार मैत्रेय 11 अक्टूबर को मामले की छानबीन करने आजमगढ़ पहुंचे। 8 घंटे तक जेल अधिकारियों और कर्मचारियों से बातचीत की। इसके बाद अपनी जांच रिपोर्ट शासन को दी थी। इसी जांच रिपोर्ट के आधार पर उत्तर प्रदेश शासन ने निलंबन की कार्रवाई की है।

इस घटना में शामिल चार आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भी भेजा जा चुका है। जिन चार आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है, उनमें दो आरोपी रामजीत यादव और शिवशंकर यादव उर्फ गोरख जेल से छूटे कैदी हैं। जबकि जेल के वरिष्ठ लेखाधिकारी मुशीर अहमद और चौकीदार अवधेश कुमार पांडेय शामिल थे।

जेल अधीक्षक के फर्जी हस्ताक्षर बनाए

सपी सिटी मधुबन कुमार सिंह ने बताया कि बंदी रामजीत यादव लेखा कार्यालय में तैनात वरिष्ठ सहायक मुशीर अहमद के लेखक के रूप में लगाया गया था। कार्यालय में काम करने के दौरान दोनों बंदियों रामजीत यादव और शिव शंकर यादव की वरिष्ठ सहायक मुशीर अहमद और चौकीदार अवधेश कुमार पांडे से दोस्ती हो गई।

उनके सहयोग से लेखा कार्यालय से जेल अधीक्षक के सरकारी खातों के चेकबुक को निकाला। इसके बाद चेकबुक पर जेल अधीक्षक के फर्जी हस्ताक्षर बनाकर रामजीत ने रुपए निकाले।

रामजीत ने बहन की शादी की, बुलेट खरीदी

मुख्य आरोपी रामजीत यादव ने 20 जनवरी 2025 को अपनी बहन की शादी की। जिसमें 25 लाख रुपए से अधिक खर्च किए। इसके साथ ही 3 लाख 75 हजार की एक नई बुलेट खरीदी। जेल में रहने के दौरान और जमानत और अन्य कामों में लगभग 10 लाख खर्च हुए। ये रुपए उसने उधार लिए थे, उन्हें चुकाया।

इसके साथ ही आरोपी के खाते में 23,000 रुपए बचे हुए हैं। जिसे पुलिस ने होल्ड कर दिया है। लेखाधिकारी मुशीर अहमद को 7 लाख रुपए मिले। जिसे धीरे-धीरे वह अपने व्यक्तिगत और घरेलू उपयोग में खर्च कर रहा था। आरोपी शिव शंकर उर्फ लाल जी यादव जो पैसे मिले उसने अपने ऐशो आराम कर रहा था। चौकीदार अवधेश कुमार पांडे को गबन के हिस्से में से 1,50,000 रुपए मिले। अवधेश कुमार पांडे ने अपने व्यक्तिगत और घरेलू उपयोग में खर्च कर दिए।

ऐसे करते थे अपराध

आरोपी रामजीत यादव ने बताया कि, मेरे साथी शिव शंकर यादव, मुशीर अहमद और अवधेश कुमार पांडेय एक-दूसरे के मदद जिला कारागार से ब्लैंक चेक निकाल कर लाते थे। वरिष्ठ अधीक्षक मंडल जिला कारागार की मोहर लगाकर जेल अधीक्षक का फर्जी हस्ताक्षर बनाते। इसके बाद मैं रुपए निकालता था। जिसे हम लोग आपस में बांट लेते थे।

8 घंटे तक की डीआईजी जेल ने मामले की जांच

डीआईजी जेल शैलेंद्र कुमार मैत्रेय 11 अक्टूबर को आजमगढ़ पहुंचे। डीआईजी जेल देर रात तक मामले की जांच करते रहे और लगभग 8 घंटे तक एक-एक पहलू की जांच की। डीआईजी जेल ने कहा- आरोपी ने जेल से केनरा बैंक के चेक को गायब कर दिया था। ऐसे में इस मामले में चार आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर दिया गया है।

आरोपी बैंक टू बैंक पैसे का ट्रांजैक्शन करता रहा। इस पूरे मामले की रिपोर्ट शासन को दी जाएगी, जिसके आधार पर शासन इस पूरे मामले में जो भी लोग दोषी होंगे उनके खिलाफ कार्रवाई करेगा। यही नहीं आरोपी रामजीत यादव दीपावली के त्योहार के बाद गुजरात जाने की तैयारी भी कर रहा था। इस बात की चर्चा चौकीदार अवधेश कुमार पांडेय से लगातार करता रहता था।

20 मई 2024 को जमानत पर जेल से रिहा हुआ था आरोपी रामजीत

आरोपी रामजीत यादव 20 मई 2024 को जमानत पर जेल से रिहा हुआ, तो उसने अकाउंटेंट के कमरे से केनरा बैंक की चेकबुक चुरा ली। रामजीत यादव का खाता यूनियन बैंक में चल रहा था। आरोपी ने यूनियन बैंक का खाता बंद करके केनरा बैंक में अपना खाता भी खुलवा लिया।

जेल खाते से लगातार निकलता रहा पैसा

जेल से रिहा होने के अगले दिन यानी 21 मई 2024 को खाते से 10 हजार रुपए निकाले। 22 मई को 50 हजार रुपए और कुछ दिन बाद 1.40 लाख रुपए खाते से निकाले। इस दौरान जेल प्रशासन को न ही इस चोरी की और न ही चेकबुक चोरी की शिकायत दर्ज कराई गई। आरोपी लगभग 18 महीनों तक पैसे निकालते रहा।

22 सितंबर 2025 को जब खाते से 2.60 लाख रुपए निकाले गए, तब जेल अधीक्षक आदित्य कुमार सिंह का ध्यान इस पर गया। उनके फोन पर पैसे निकाले जाने का मैसेज आया। जब उन्होंने जेल अकाउंटेंट मुशीर अहमद से जानकारी ली, तो उनके पास कोई रिकॉर्ड मौजूद नहीं था। जेल खाते का स्टेटमेंट निकाला गया, तब पूरे मामला सामने आया। जांच में पता चला कि आरोपी खुद को जेल का ठेकेदार बताकर अधीक्षक के फर्जी दस्तखत से बैंक खाते से पैसे निकाल रहा था। साभार डीबी।

पकड़े गए आरोपी 

रिपोर्ट:अमित कुमार सिंह
एडिटर इन चीफ(परमार टाईम्स)
parmartimes@gmail.com

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