आजमगढ़। सर्दियों में बच्चों एवं वयस्को का कैसे रखें ध्यान, देखिए डॉक्टर आरके सिंह अधीक्षक CHC मेहनाजपुर एवं डॉक्टर पीपी यादव ने क्या कहा।
डॉक्टर आरके सिंह एवं डॉक्टर पीपी यादव ने बताया कि सर्दियों के दौरान बच्चों की स्वस्थता (health) पर विशेष ध्यान देना ज़रूरी होता है क्योंकि ठंडे मौसम में उनकी इम्यूनिटी (immune system) कमजोर हो जाती है। यह समय बुखार, जुकाम, खाँसी और अन्य वायरल बीमारी के फैलने का होता है। वयस्को में भी इन बातों का भी ध्यान रखना चाहिए।
अस्थमा एवं COPD के मरीजों को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए इसके बारे में भी अधीक्षक डॉ आरके सिंह एवं पीपी यादव ने विस्तार से बताया।
ठंड में मरीज़ों की देखभाल के मुख्य बिंदु
1. तापमान और वातावरण का प्रबंधन
कमरे का तापमान: कमरे का तापमान 18°C से 21°C (64°F से 70°F) के बीच बनाए रखें। अत्यधिक ठंड या गर्मी दोनों से बचें।
गर्म रखने के उपकरण: हीटर (heater) का उपयोग करते समय सुनिश्चित करें कि वेंटिलेशन (हवा का आना-जाना) सही हो ताकि घुटन न हो और कार्बन मोनोऑक्साइड (Carbon Monoxide) का खतरा न बढ़े।
हवा का प्रवेश रोकना: खिड़कियों और दरवाजों के आस-पास के गैप (gaps) को बंद करें ताकि ठंडी हवा सीधे मरीज़ तक न पहुँचे।
नमी (Humidity): कमरे में नमी बनाए रखने के लिए ह्यूमिडिफायर (Humidifier) का उपयोग कर सकते हैं, खासकर अगर मरीज़ को साँस की समस्या हो।
2. पोशाक और बिस्तर
गर्म कपड़े: मरीज़ को ऊनी या थर्मल कपड़े पहनाएँ, जैसे स्वेटर, गर्म जुराबें (socks), और टोपी, क्योंकि शरीर की गर्मी सिर से जल्दी निकलती है। कपड़े कई परतों (layers) में पहनाएँ, जिससे गर्मी अंदर बनी रहे।
बिस्तर: मरीज़ के लिए गर्म कम्बल या रजाई का उपयोग करें। बिस्तर पर जाने से पहले गर्म पानी की थैली (hot water bottle) या इलेक्ट्रिक ब्लैंकेट का उपयोग करके बिस्तर को गर्म किया जा सकता है (लेकिन सोते समय इसे हटा दें)।
3. आहार और हाइड्रेशन
गर्म और पौष्टिक आहार: मरीज़ को गर्म सूप, दाल, और हरी सब्ज़ियाँ दें। यह शरीर को गर्माहट और पोषण प्रदान करता है।
विटामिन C: इम्यूनिटी (रोग प्रतिरोधक क्षमता) बढ़ाने के लिए विटामिन C युक्त फल (जैसे संतरा, अमरूद) दें।
तरल पदार्थ (Fluids): ठंड में प्यास कम लगती है, इसलिए सुनिश्चित करें कि मरीज़ पर्याप्त मात्रा में गर्म पानी या हर्बल चाय पीते रहें ताकि डिहाइड्रेशन (पानी की कमी) न हो।
4. स्वास्थ्य और चिकित्सा
दवाएँ: सभी दवाएँ डॉक्टर के निर्देशानुसार और सही समय पर दें। कोई भी खुराक न छोड़ें।
नियमित जाँच: मरीज़ के तापमान, रक्तचाप (Blood Pressure), और शुगर (अगर लागू हो) की नियमित रूप से जाँच करें।
त्वचा की देखभाल: ठंड में त्वचा शुष्क हो जाती है। मॉइस्चराइज़र (moisturizer) का नियमित उपयोग करें, खासकर बुजुर्ग मरीज़ों में, ताकि खुजली और त्वचा फटने से बचाव हो।
5. गतिविधि और आराम
हल्की गतिविधि: यदि डॉक्टर अनुमति दें, तो मरीज़ को कमरे के अंदर ही हल्की-फुल्की गतिविधि या स्ट्रेचिंग (stretching) कराएँ ताकि रक्त संचार (blood circulation) सही बना रहे।
आराम: मरीज़ को पर्याप्त आराम और नींद मिलनी चाहिए, क्योंकि ठंड में शरीर को ऊर्जा बचाने की आवश्यकता होती है।
नोट: बुजुर्ग, हृदय रोग (Heart Disease), मधुमेह (Diabetes), या साँस की समस्याओं (Respiratory Issues) वाले मरीज़ों पर विशेष ध्यान दें, क्योंकि वे ठंड के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं।
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| डॉक्टर आरके सिंह,अधीक्षक सीएचसी मेहनाजपुर एवं डॉक्टर पीपी यादव |
रिपोर्ट:अमित कुमार सिंह
एडिटर इन चीफ(परमार टाईम्स)
parmartimes@gmail.com

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