जौनपुर। जनपद के कद्दावर नेता एवं पूर्व ग्राम विकास कृषि खाद्य एवं रसद राज्य मंत्री बश नारायण पटेल की इलाज के दौरान वाराणसी के एक अस्पताल में मौत हो गई।
शुक्रवार को उनका पार्थिव शरीर नेवढ़िया थाना के जयसिंहपुर बाजार में उनके पैतृक आवास पर ले आया। जहां उनका अंतिम दर्शन करने के लिए लोगों का तांता लगा हुआ है।
बता दे कि स्व. बंश नारायण पटेल नेवढ़िया क्षेत्र के चकईपुर गांव के मूल निवासी थे और मंत्रित्व काल से क्षेत्र की सेवा के लिए जयसिंहपुर बाजार में अपना निजी आवास बनाकर रह रहे थे। बीते तीन दिनों से निमोनिया एवं टाइफाइड से ग्रसित थे। शुक्रवार की सुबह उनकी हालत खराब होने पर उनके तीसरे नंबर के पुत्र ज्ञान सिंह पटेल ने उन्हें वाराणसी के एक अस्पताल में भर्ती कराया जहां देर शाम उनकी मौत हो गई।
उनके पार्थिव शरीर को वाराणसी से 4:00 बजे जयसिंहपुर गांव ले आकर पैतृक आवास पर क्षेत्रीय लोगों के दर्शन के लिए रखा गया है। उनके निधन के समाचार जैसे ही क्षेत्र के लोगों में लगी क्षेत्र शोकाकुल हो गया।
मंत्री रहे बरसठी विधानसभा के क्षेत्र के विकास के लिए हमेशा सतत प्रयास करते रहे। अपने जीवन काल में बहुत ही उतार और चढ़ाव देखा जिसमें उनका बड़ा पुत्र निर्भय सिंह आज भी जेल में आजीवन कारावास काट रहा हैं।
स्व. बंश नारायण पटेल अधिवक्ता भी थे और मड़ियाहूं तहसील बार एसोसिएशन के भूतपूर्व सदस्य रहे। स्वर्गीय बंश नारायण पटेल 1996 में बसपा के टिकट पर बरसठी विधानसभा के विधायक चुने गए। 1997 में एक आंधी चली जिसमे वह भाजपा पार्टी में अपने आप को विलय कर दिया। जिसके बाद कल्याण सिंह के भाजपा की सरकार में ग्राम विकास कृषि खाद्य एवं रसद राज्य मंत्री बनाए गए और 2000 तक राज्य मंत्री पद को सुशोभित करते रहे। जिसके बाद इन्हें भगोड़ा विधायक भी कुछ राजनीतिक दल के कार्यकर्ता पदाधिकारियों ने बताया। जिसका स्व. मंत्री को कोई मलाल नहीं था। उनका कहना था कि क्षेत्र के विकास के लिए अगर कोई मुझे भगोड़ा भी कहता है तो वह मुझे मंजूर है। बंश नारायण मंत्री बनते ही उत्तर प्रदेश की राजनीति में छा गए। बरसठी में अपने कद काठी और छाता लेकर चलने के लिए पूरे विधानसभा क्षेत्र में मशहूर रहे।
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फोटो साभार सोशल मीडिया |
रिपोर्ट: अमित कुमार सिंह
जर्नलिस्ट
जौनपुर
a.singhjnp@gmail.com
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