आंचल सिंह
जौनपुर । श्रीमती सरिता सिंह (एसोसिएट प्रोफेसर,समाजशास्त्र विभाग) श्री गणेश राय स्नातकोत्तर महाविद्यालय डोभी जौनपुर (उत्तरप्रदेश )के द्वारा संचालित हो रही लोकगीत के प्रति सहयोगीता सराहनीय है लोकगीत संगीत की जननी है। शास्त्रीय संगीत इसका आदर्श रूप है। लोक गीतों के जरिए ही हमारी सभ्यता व संस्कृति का संरक्षण हो सकता है। युवा कलाकारों को इस क्षेत्र में आगे आने की जरूरत है। पूरी दुनिया संगीत प्रेमियों से भरी पड़ी है। अगर आप सुर साधना करते हैं तो आपके लिए अवसर की कोई कमी नहीं होगी।लोकगीत लोक के गीत हैं। जिन्हें कोई एक व्यक्ति नहीं बल्कि पूरा लोक समाज अपनाता है। सामान्यतः लोक में प्रचलित, लोक द्वारा रचित एवं लोक के लिए लिखे गए गीतों को लोकगीत कहा जा सकता है। लोकगीतों का रचनाकार अपने व्यक्तित्व को लोक समर्पित कर देता है। शास्त्रीय नियमों की विशेष परवाह न करके सामान्य लोकव्यवहार के उपयोग में लाने के लिए मानव अपने आनन्द की तरंग में जो छन्दोबद्ध वाणी सहज उद्भूत करता है,वही लोकगीत है।ऐसे में जरूरत इस बात की है कि पुराने गीत व गायकों की आवाज को संरक्षित किया जाए साथ ही युवा कलाकारों को लगातार आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया जाए।जिसके लिए डिजिटल उपयोगिता कि प्रधानता स्वीकार की गई है और यूट्यूब के माध्यम से इसका विस्तार किया जा रहा है।
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सरिता सिंह -A.P |
रिपोर्ट: अमित कुमार सिंह
जर्नलिस्ट
a.singhjnp@gmail.com
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