जौनपुर का वो माफिया जिसका नाम सुन कर सिहर जाता था पूरा प्रदेश,यूपी का मोस्ट वांटेड गैंगस्टर

जौनपुर का वो माफिया जिसका नाम सुन कर सिहर जाता था पूरा प्रदेश,यूपी का मोस्ट वांटेड गैंगस्टर

जौनपुर। देश के बड़े माफियाओं में शुमार माफिया से नेता बने अतीक अहमद और भाई असरफ अहमद की कड़ी सुरक्षा के बीच गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया गया।

ये घटना उस वक्त गटी जब शनिवार रात दोनों को का मेडिकल कराने के लिए अस्पताल ले जाया जा रहा था। अतीक और अशरफ की सरेराह हत्या ने एक बार फिर सूबे में अपराध और अपराधियों की चर्चा छेड़ दी है। हालांकि, इसके पहले भी कई माफियाओं की सरेराह हत्या हो चुकी है। जिनमें कुछ ऐसे भी थे, जो माफिया से राजनेता बन चुके थे। लेकिन ये पहले माफिया नहीं थे जिसे इस प्रकार की सजा दी गई इससे पहले एक माफिया था जिसके नाम से पूरा यूपी कांप उठता था उसका हश्र भी कुछ ऐसा ही हुआ था।

यूपी का मोस्ट वांटेड गैंगस्टर

बड़े माफियाओं में शुमार एक ऐसा नाम जिसके नाम सुनते ही पूरा उत्तर प्रदेश दहल जाता था नाम था मुन्ना बजरंगी। जिसे 2018 में बागपत जेल के अंदर गोलियों से भून दिया गया था। प्रेम प्रकाश सिंह उर्फ मुन्ना बजरंगी का जन्म 1967 में उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के पूरेदयाल गांव में हुआ था। उसने पांचवीं कक्षा के बाद पढ़ाई छोड़ दी। बजरंगी को हथियार रखने का बड़ा शौक था। वह फिल्मों की तरह एक बड़ा गैंगेस्टर बनना चाहता था। यही वजह थी कि 17 साल की नाबालिग उम्र में ही उसके खिलाफ पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया। जौनपुर के सुरेरी थाना में उसके खिलाफ मारपीट और अवैध असलहा रखने का मामला दर्ज किया गया था। इसके बाद मुन्ना ने कभी पलटकर नहीं देखा। वह जरायम के दलदल में धंसता चला गया।

मुख्तार अंसारी के इशारे पर करता था काम

वह अपराध की दुनिया में अपनी पहचान बनाने की कोशिश में लगा था। इसी दौरान उसे जौनपुर के स्थानीय दबंग माफिया गजराज सिंह का साथ मिल गया। मुन्ना अब उसके लिए काम करने लगा था। 1984 में मुन्ना ने लूट के लिए एक व्यापारी की हत्या कर दी। इसके बाद उसने गजराज के इशारे पर ही जौनपुर के भाजपा नेता रामचंद्र सिंह की हत्या करके पूर्वांचल में अपना दबदबा बनाया। पूर्वांचल में अपनी साख बढ़ाने के लिए मुन्ना बजरंगी 90 के दशक में पूर्वांचल के बाहुबली माफिया और राजनेता मुख्तार अंसारी के गैंग में शामिल हो गया। यह गैंग मऊ से संचालित हो रहा था, लेकिन इसका असर पूरे पूर्वांचल पर था। मुन्ना सीधे तौर पर सरकारी ठेकों को प्रभावित करने लगा था।

मुख्तार को खुश करने के लिए किया ऐसा काम

पूर्वांचल में सरकारी ठेकों और वसूली के कारोबार पर मुख्तार अंसारी का कब्जा था। लेकिन इसी दौरान तेजी से उभरते भाजपा विधायक कृष्णानंद राय उनके लिए चुनौती बनने लगे। उन पर मुख्तार के दुश्मन बृजेश सिंह का हाथ था। उसी के संरक्षण में कृष्णानंद राय का गैंग फल फूल रहा था। इसी वजह से दोनों गैंग अपनी ताकत बढ़ा रहे थे। इनके संबंध अंडरवर्ल्ड के साथ भी जुड़े गए थे। फरमान मिलने के बाद मुन्ना बजरंगी ने गाजीपुर के भंवरकौल थाना क्षेत्र के गंधौर में 29 नवंबर 2005 को कृष्णानंद राय को दिन दहाड़े उसकी 400 गोलियां से भून दिया। हमले में विधायक कृष्णानंद राय के अलावा उनके साथ चल रहे छह अन्य लोग भी मारे गए थे। पोस्टमार्टम के दौरान हर मृतक के शरीर से 60 से 100 तक गोलियां बरामद हुईं थी।

7 लाख का था इनाम घोषित

इस हत्याकांड ने सूबे के सियासी हलकों में हलचल मचा दी। हर कोई मुन्ना बजरंगी के नाम से खौफ खाने लगा। इसके बाद से वह मोस्ट वॉन्टेड बन गया। भाजपा विधायक की हत्या के अलावा कई मामलों में उत्तर प्रदेश पुलिस, एसटीएफ और सीबीआई को मुन्ना बजरंगी की तलाश थी। इसलिए उस पर सात लाख रुपये का इनाम भी घोषित किया गया। उस पर हत्या, अपहरण और वसूली के कई मामलों में शामिल होने के आरोप है। वो लगातार अपनी लोकेशन बदलता रहा। पुलिस का दबाव भी बढ़ता जा रहा था। उसका यूपी और बिहार में रह पाना मुश्किल हो गया था। इसलिए मुन्ना भागकर मुंबई चला गया।

जेल के अंदर गोलियों से भूना

उत्तर प्रदेश समते कई राज्यों में मुन्ना बजरंगी के खिलाफ मुकदमे दर्ज थे। उसके खिलाफ सबसे ज्यादा मामले उत्तर प्रदेश में दर्ज हैं, लेकिन 29 अक्तूबर 2009 को दिल्ली पुलिस ने मुन्ना को मुंबई के मलाड इलाके में नाटकीय ढंग से गिरफ्तार कर लिया था। तब से उसे अलग अलग जेल में रखा जा रहा था। 2018 में उसे झांसी से बागपत जेल में शिफ्ट किया गया, जहां उसी साल जेल में ही गोलियों से भूनकर हत्या हो गई।

2005 में भी हुआ था कुछ ऐसा ही

इससे पहले 2005 में मुन्ना बजरंगी के शार्प शूटर अनुराग त्रिपाठी उर्फ अन्नू त्रिपाठी की वाराणसी जिला जेल में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। वहीं, मुन्ना के खास रहे प्रिंस अहमद की 2010 में जेल में हत्या कर दी गई थी। प्रिंस अहमद कृष्णानंद राय हत्याकांड में मुख्तार और मुन्ना बजरंगी के साथ नामजद था। साभार आईबीसी 24.

मुन्ना बजरंगी, फाइल फोटो

रिपोर्ट: अमित कुमार सिंह
जर्नलिस्ट
a.singhjnp@gmail.com

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