जौनपुर। साहब अभी मैं जिदा हूं...साहब मेरी फरियाद सुनी जाय..पिछले आठ साल से खुद को जिंदा साबित करने के लिए सलेमपुर गांव निवासी 85 वर्षीय रामरुप पांडेय को शाहगंज तहसील व जिला मुख्यालय का सैकड़ों बार चक्कर काटना पड़ा।
वृद्ध रामरुप की दर्द भरी आवाज आखिरकार डीएम के कानों तक पहुंच गयी। पीड़ित व उसके परिवार के सदस्यों को डांकबगला में स्टेट गेस्ट के रुप में रोककर डीएम ने दो दिनों तक लगातार सुनवायी की। रिपोर्ट व बहस के दौरान अधिवक्ता की दलील तथा खुली बैठक की रिपोर्ट के आधार पर डीएम ने तहसीलदार को कार्रवाई का निर्देश दिया। सलेमपुर गांव निवासी रामरुप पांडेय कोलकाता में रहते हैं। गांव में चार एकड़ जमीन है। रामरुप का गांव में आना जाना काफी कम था। जमीन को परिवार का भतीजा जोतता बोता था। आरोप है कि भतीजे ने साजिश रची और रामरुप को मृतक दिखाकर पूरी चार एकड़ जमीन अपने नाम करा लिया। इसकी जानकारी रामरुप व उनके बच्चों को नहीं थी। 2016 में जब रामरुप को जानकारी हुई तो उन्होंने भतीजे से पूछताछ की। इसपर उसने जान से मारने की धमकी देते हुए कोलकाता लौट जाने के लिए कह दिया। लेकिन रामरुप माने नहीं और तहसील में तहसीलदार के यहां वाद दायर किया। तब से लेकर अब तक सुनवायी होती रही। रामरुप व उनके बच्चों ने बताया कि इसके पहले के जितने भी जिलाधिकारी थे सबसे फरियाद की गयी थी कि मुकदमें को शाहगंज से यहां जौनपुर ट्रांसफर कर दिया जाय। लेकिन नहीं हो पाया। इस बीच अधिवक्ता उमानाथ यादव के माध्यम से मंगलवार को डीएम डा. दिनेश चन्द्र सिंह के कानो तक पहुंची। डीएम ने रामरुप व उनके बच्चे तथा रिश्तेदार को स्टेट गेस्ट के रुप में डांकबगले में रोकवाया। ताकि अगले दिन वह सुनवायी कर सके। साथ ही गांव वापस जाने पर रामरुप को खतरा भी था। डीएम ने बुधवार को सुबह सुनवायी करते हुए तहसीलदार शाहगंज को निर्देश दिया कि कोतवाल के माध्यम से रामरुप के भतीजे को लेकर कलक्ट्रेट पहुंचे। तहसीलदार अपनी सारी रिपोर्ट लेकर पहुंचे जिसमें यह साबित हुआ कि रामरुप मरे नहीं है जिंदा हैं। डीएम ने शाम सात बजे तक लगातार सुनवायी करते हुए तहसीलदार को आदेश दिए कि दो दिन के अंदर रामरुप की जमीन उनके नाम की जाय। साभार एचटी।
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फाइल फोटो |
रिपोर्ट:अमित कुमार सिंह
एडिटर इन चीफ(परमार टाईम्स)
parmartimes@gmail.com
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