गाजीपुर। हाल ही में सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो और पोस्ट के कारण गाज़ीपुर की एक महिला, नीतू कुशवाहा, विवादों में घिर गई हैं। आरोप है कि उन्होंने सोशल मीडिया पर एक विशेष जाति (चमार) के खिलाफ अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल किया, जिससे समाज में नाराजगी फैल गई।
यह मामला तब प्रकाश में आया जब अभिषेक राव नाम के एक व्यक्ति ने 'X' (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट कर नीतू कुशवाहा के खिलाफ उत्तर प्रदेश पुलिस से कार्रवाई की मांग की।
वायरल पोस्ट ने खड़ा किया विवाद
अभिषेक राव ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर लिखा:
"इसका नाम नीतू कुशवाहा है और ये यूपी के ग़ाज़ीपुर की रहने वाली है, जिसके सोशल मीडिया पर लाखों फॉलोवर हैं। यह महिला सोशल मीडिया पर एक जाति (चमार) विशेष के लिए अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल करके उन्हें नीचा दिखा रही है। उत्तर प्रदेश पुलिस कृपया संज्ञान ले और इस जातिवादी महिला के खिलाफ कार्यवाही करे।"
इस पोस्ट के वायरल होने के बाद सोशल मीडिया पर #ArrestNeetuKushwaha जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे। कई सामाजिक और राजनीतिक संगठनों ने इस मुद्दे पर नाराजगी जताई और यूपी पुलिस से तत्काल कार्रवाई की मांग की।
कानूनी दृष्टिकोण से कितना गंभीर है मामला?
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 15 के तहत किसी भी नागरिक के खिलाफ जाति, धर्म, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर भेदभाव करना निषिद्ध है। इसके अलावा, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के तहत जातिसूचक शब्दों का उपयोग एक दंडनीय अपराध माना जाता है। इस अधिनियम के अंतर्गत दोषी पाए जाने पर कठोर सजा का प्रावधान है।
सोशल मीडिया पर बढ़ता गुस्सा
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर इस घटना की कड़ी आलोचना हो रही है। कई यूजर्स ने इस प्रकार के जातिवादी कंटेंट पर सख्त कार्रवाई की मांग की है। एक यूजर ने लिखा:
"सोशल मीडिया पर इतनी नफरत क्यों? जातिवाद फैलाने वालों के खिलाफ सरकार को तुरंत सख्त कदम उठाने चाहिए।"
वहीं, कुछ अन्य लोगों ने नीतू कुशवाहा के अकाउंट को बैन करने की मांग भी की है।
यूपी पुलिस की प्रतिक्रिया
इस मामले पर अभी तक उत्तर प्रदेश पुलिस की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। हालांकि, सूत्रों के अनुसार, साइबर क्राइम विभाग इस मामले की जांच कर रहा है और जल्द ही उचित कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स की ज़िम्मेदारी
इस घटना ने एक बार फिर सोशल मीडिया पर नियंत्रण और निगरानी की आवश्यकता को उजागर किया है। कई बार देखा गया है कि नफरत फैलाने वाले बयान और जातिवादी टिप्पणियाँ बिना किसी रोक-टोक के वायरल हो जाती हैं, जिससे समाज में विभाजन और तनाव बढ़ता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि सोशल मीडिया कंपनियों को अपने मॉडरेशन सिस्टम को और सख्त बनाना चाहिए, ताकि इस तरह की विवादास्पद सामग्री को समय रहते रोका जा सके। साथ ही, सरकार को भी इस तरह के मामलों में त्वरित कार्रवाई करनी चाहिए।
समाज पर प्रभाव और संभावित नतीजे
इस घटना ने जातिवाद के मुद्दे को फिर से चर्चा में ला दिया है। समाज में शांति बनाए रखने के लिए सभी नागरिकों को संवेदनशीलता और जिम्मेदारी से व्यवहार करना चाहिए। कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस मुद्दे पर अपनी राय व्यक्त की है।
एक सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा:
"हमारे देश में सभी को समान सम्मान मिलना चाहिए। जातिवादी टिप्पणियाँ न केवल अवैध हैं, बल्कि वे समाज को विभाजित भी करती हैं। इस तरह की घटनाओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।"
क्या होगी आगे की कार्रवाई?
गाज़ीपुर जिले में स्थानीय प्रशासन ने शांति और सद्भाव बनाए रखने की अपील की है। अधिकारियों ने कहा है कि वे इस मामले की गंभीरता से जांच कर रहे हैं और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेंगे।
उत्तर प्रदेश पुलिस की कार्रवाई पर अब सबकी निगाहें टिकी हुई हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या इस मामले में कोई गिरफ्तारी होती है या फिर केवल सोशल मीडिया तक ही यह विरोध सीमित रह जाता है।
इस घटना ने जातिवाद की जड़ें कितनी गहरी हैं, इस पर फिर से सवाल खड़ा कर दिया है। हमें एक ऐसे समाज का निर्माण करना होगा जहाँ सभी नागरिक समान सम्मान और अधिकार प्राप्त कर सकें। इसके लिए आवश्यक है कि लोग सोशल मीडिया पर जिम्मेदारी से व्यवहार करें और जातिवादी टिप्पणियों से बचें।
सरकार, पुलिस और सोशल मीडिया कंपनियों को मिलकर ऐसे मामलों पर सख्त रुख अपनाना चाहिए, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। साभार आरडी ।
देखें वीडियो 👇
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फाइल फोटो |
रिपोर्ट:अमित कुमार सिंह
एडिटर इन चीफ(परमार टाईम्स)
parmartimes@gmail.com
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