एसमएए टाइप वन बीमारी से जूझ रहे अनमय को बचाने के लिए सोशल मीडिया पर मुहिम का दिखा असर,71.66 लाख रुपए 4 दिन में जुटे

एसमएए टाइप वन बीमारी से जूझ रहे अनमय को बचाने के लिए सोशल मीडिया पर मुहिम का दिखा असर,71.66 लाख रुपए 4 दिन में जुटे

सुलतानपुर । दुर्लभ बीमारी से पीड़ित सुल्तानपुर के सात माह के अनमय को बचाने के लिए सोशल मीडिया पर मुहिम का असर देखने को मिल रहा है।

चार दिनों में व्हाट्सएप, फेसबुक और फोन कॉल पर 71 लाख 66 हजार रुपये इकट्ठा किए गए हैं। वहीं सुलतानपुर के बीजेपी विधायक के अलावा जौनपुर के विधायकों ने मुख्यमंत्री विवेकाधिकार कोष से मदद के लिए सीएम को पत्र लिखा है। अनमय की जान बचाने को लगने वाले खास इंजेक्शन के लिए 16 करोड़ रुपये की दरकार है।

कोतवाली नगर के सौरमऊ स्थित बैंक कॉलोनी में अनमय का परिवार निवास करता है। अनमय को स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी यानी एसमएए टाइप वन नाम की दुर्लभ बीमारी है। इस बीमारी का इलाज अमेरिका में मिलने वाले इंजेक्शन से ही संभव है। इसकी कीमत 16 करोड़ रुपये है। ऐसे में लोगों ने सोशल मीडिया पर अभियान चलाया।

सोमवार दोपहर तक 64 लाख 25 हजार रुपये तक उसके पिता के एकाउंट में पहुंचे थे जो रात बजे तक बढ़कर 71 लाख 66 हजार रुपये तक पहुंच गए। विधायक सुलतानपुर विनोद सिंह, विधायक सदर राज प्रसाद उपाध्याय राजबाबू के अलावा जौनपुर के दो विधायकों ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर अनमय की जान बचाने के लिए पहल की है।

पीएम मोदी व सीएम से मां ने की मदद की गुहार

अनमय की मां अंकिता ने कहा कि मेरी प्रधानमंत्री मोदी और सीएम योगी से अपील है कि हम सामाजिक रूप से इतने सक्षम नहीं हैं कि हम इस दवा का इंतजाम भी कर सकें। मेरी दोनों से विनती है कि मेरे बच्चे को ये इंजेक्शन लगवा दें। यह भारत में उपलब्ध नहीं, बल्कि अमेरिका से आएगा। हम इतने सक्षम भी नहीं है कि हम इसे मंगवा सकें। इसका दाम 16 करोड़ रुपए है। यह हमारी पहुंच से बहुत दूर है।

जेनेटिक डिसआर्डर से होती है बीमारी

जिले के प्रतिष्ठित चिकित्सक डॉ. राजीव श्रीवास्तव ने बताया कि देखने से लग रहा है कि यह जेनेटिक डिसआर्डर है। यह एक ऐसी बीमारी है जिसे कि मृत मांसपेशियों को संभालने की शक्ति नहीं है जो विस्तारित मांसपेशियों को संभालती हैं वह ताकत नहीं हैं। शरीर में चार मांसपेशियां होती हैं दो दाईं तरफ, दो बाईं तरफ। इसको ईस्टर्न ओ पीडो मस्कराईब कहते हैं।

कुछ बच्चों में जीन का कुछ दिक्कत होती है जिसकी वजह से सिर्फ कालर मसल्स ही डेवलप होता है। इसकी सर्जरी भी काफी मुश्किल होती है। दूसरा विकल्प इस बीमारी का जो इंजेक्शन लगता है, वह करीब 16 करोड़ रुपए का आता है। इंजेक्शन आम व्यक्ति की पहुंच से बाहर का है। सरकार या समाज से आकर कोई व्यक्ति सहायता कर सकता है। साभार एचटी।

फाइल फोटो 

रिपोर्ट: अमित कुमार सिंह
जर्नलिस्ट
a.singhjnp@gmail.com

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